शारदीय नवरात्र की चतुर्थी तिथि पर देवी के कूष्मांडा (Maa Kushmanda) स्वरूप का दर्शन-पूजन करने का विधान है। शास्त्र के अनुसार अपनी मंद मुस्कान से पिंड से ब्रह्मांड तक का सृजन देवी ने इसी स्वरूप में किया था। कूष्मांडा स्वरूप के दर्शन पूजन से न सिर्फ रोग-शोक दूर होता है अपितु यश, बल और धन में भी वृद्धि होती है। देवी कुष्मांडा (Maa Kushmanda) का मंदिर दुर्गाकुंड क्षेत्र में स्थित है। इन्हें दुर्गाकुंड वाली दुर्गा के नाम से भी जाना जाता है।