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हमारी प्रार्थना करने के विभिन्न तरीके हैं , कभी सरल शब्दों से,कभी कीर्तन से और कभी मन्त्रों से. इनमे मंत्र सबसे ज्यादा प्रभावशाली मानते जाते हैं , क्योंकि ये मन को तुरंत एकाग्र कर देते हैं और शीघ्र प्रभाव देते हैं. rosary
हर मंत्र से अलग तरह का प्रभाव और शक्ति उत्पन्न होती है इसलिए मंत्र का जप करने के लिए अलग अलग तरह की मालाओं का प्रयोग किया जाता है. ऐसा करने से अलग अलग मन्त्रों की शक्ति का लाभ मिल सकता है. माला का प्रयोग इसलिए भी किया जाता है ताकि मंत्र जप की संख्या में त्रुटी न हो सके. माला में लगे हुये दानों को मनका कहा जाता है. सामान्यतः माला में 108 मनके होते हैं परन्तु कभी कभी इसमें 27 अथवा 54 मनके भी होते हैं.
माला के प्रयोग की सावधानियां और नियम क्या हैं?
- माला के मनकों की संख्या कम से कम २७ या १०८ होनी चाहिए. हर मनके के बाद एक गाँठ जरूर लगी होनी चाहिए.
- मंत्र जप के समय तर्जनी अंगुली से माला का स्पर्श नहीं होना चाहिए साथ ही सुमेरु का उल्लंघन भी नहीं होना चाहिए.
- मंत्र जप के समय माला किसी वस्त्र से ढंकी होनी होनी चाहिए या गोमुखी में होनी चाहिए.
- मंत्र जाप करने के पूर्व हाथ में माला लेकर प्रार्थना करनी चाहिए कि माला से किया गया मंत्र जाप सफल हो .
- माला हमेशा व्यक्तिगत होनी चाहिए , दूसरे की माला का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
- जिस माला से मंत्र जाप करते हैं , उसे धारण नहीं करना चाहिए.
अलग अलग माला के प्रयोग के लाभ क्या हैं और क्या तरीका है?
रुद्राक्ष की माला
- सामान्यतः किसी भी मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से कर सकते हैं
- शिव जी और उनके परिवार के लोगों के मन्त्र रुद्राक्ष पर विशेष लाभकारी होते हैं
- महामृत्युंजय और लघुमृत्युंजय मन्त्र केवल रुद्राक्ष पर ही जपना चाहिए
स्फटिक की माला
- यह माला एकाग्रता , सम्पन्नता और शान्ति की माला मानी जाती है
- माँ सरस्वती और माँ लक्ष्मी के मन्त्र इस माला से जपना उत्तम होता है
- धन प्राप्ति और एकाग्रता के लिए स्फटिक की माला धारण करना भी अच्छा होता है
हल्दी की माला
- विशेष प्रयोगों तथा मनोकामनाओं के लिए हल्दी की माला का प्रयोग किया जाता है
- हल्दी की माला से ज्ञान और संतान प्राप्ति के मन्त्रों का जाप भी कर सकते हैं
- बृहस्पति देव तथा माँ बगलामुखी के मन्त्रों के लिए हल्दी की माला का प्रयोग होता है
तुलसी की माला
- वैष्णव परंपरा में इस माला का सर्वाधिक महत्व है
- भगवान् विष्णु और उनके अवतारों के मन्त्रों का जाप इसी माला से किया जाता है
- यह माला धारण करने पर वैष्णव परंपरा का पालन जरूर करना चाहिए
- तुलसी की माला पर कभी भी देवी और शिव जी के मन्त्रों का जप नहीं करना चाहिए
चन्दन की माला
- चन्दन की माला दो प्रकार की होती है
- लाल चन्दन और श्वेत चन्दन- देवी के मन्त्रों का जाप लाल चन्दन की माला से करना फलदायी होता है
- भगवान् कृष्ण के मन्त्रों के लिए सफ़ेद चन्दन की माला का प्रयोग कर सकते हैं