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JAIHINDTIMES CHANDIGARH
देश में बाबाओं के झूठे दावों और भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ बने कानून की तर्ज पर नेताओं के झूठे चुनावी वायदों के लिए कार्रवाई का प्रावधान करने हेतू एडवोकेट प्रदीप रापडिया ने याचिका दाखिल की है। याचिका में बी.जे.पी. अध्यक्ष अमित शाह, कृषि मंत्रालय, शिअद, कृषि मंत्री ओ.पी. धनखड़ को प्रतिवादी बनाया गया है। या
चुनाव में लोगो को जुमलेबाजी के चक्कर में फसाकर वोट हथिया कर वायदों पर अमल न करने वाले नेताओं के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि पहले एक पार्टी ने सत्ता हासिल करने के गरीबी हटाओ का नारा दिया गया था, जिसकी वास्तविकता हम आज भी देख रहे हैं। इसके बाद भारतीय राजनीति में नारों और वादों का एक नया दौर शुरू हुआ, जो अब सभी दलों द्वारा अपना लिया गया है। पिछले लोकसभा चुनावों में चुनावी वादे भी लोगों को मुर्ख बनाकर वोट लेने के लिए मात्र वादे ही बनकर रह गए। याचिकाकर्ता प्रदीप रापडिया ने मौजूदा सरकार द्वारा चुनावों के दौरान किसानों से स्वामीनाथन आयोग को लागू करने के वादे को लागू करवाने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।
याचिका में अमित शाह, सहयोगी कृषि मंत्री ओपी धनखड़, कृषि मंत्रालय, को पार्टी बनाकर कहा गया है कि देश में भ्रामक विज्ञापन तथा बाबाओं द्वारा ठगी के लिए कानून हैं, फिर नेताओं द्वारा गलत या झूठे वादे करके सरकार बनाने के विरुद्ध सख्त कार्रवाई क्यों नहीं की जाती। याचिका के अनुसार ग्यारह साल पहले 2004 में राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन किया गया था, जिसके अध्यक्ष डा एमएस स्वामीनाथन ने किसानों के हालात को बयान करते हुए यह रिपोर्ट 2007 में ही सरकार को सौंप दी थी। सत्तारूढ भाजपा के किसान मोर्चा अध्यक्ष ओपी धनखड़ और उनके सहयोगी इन्हीं स्वामीनाथन की रिपोर्ट को लागू करने की मांग को लेकर लोकसभा चुनावों के पहले तक किसान संगठनों के साथ-साथ अर्ध नग्न होकर धरने प्रदर्शन में हिस्सा लेते रहे।
अब यही धनखड़ हरियाणा के कृषिमंत्री हैं लेकिन स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करने की सरकार चर्चा भी नहीं कर रही । याचिका में राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि किसानों की हालत और हालात तो ऐसे हैं कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) को अपनी हालिया रिपोर्ट दुर्घटना में मौतें और आत्महत्याएं 2014 में भारत में किसानों की आत्महत्या के नाम से एक अलग चैप्टर जोडऩा पड़ा। एनसीआरबी रिपोर्ट में साफ लिखा है कि किसानों की आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण कर्ज में डूबना ही है। याचिका में चुनाव के दौरान किए गए वादों का अमल न करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई हैं।
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