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पैसे की कमी होगी दूर , करें अक्षय तृतीया का पूजन
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बुधवार दिनांक 18.04.18 को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा। वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है। वैदिक पंचांग के मुहूर्त प्रणाली में अंकित चार सर्वाधिक शुभ दिनों में से यह एक माना गया है। अक्षय का अर्थ है जिसका कभी क्षय न हो अर्थात जो कभी नष्ट न हो। धर्म की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने अनेक अवतार लिए हैं, जिसमें नर-नारायण, हयग्रीव परशुराम के तीन पवित्र अवतार अक्षय तृतीया को उदय हुए थे।
अक्षय व अमिट पुण्यकारी माना गया है
- ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस दिन को ‘सर्वसिद्धि मुहूर्त’ भी कहा गया है क्योंकि इस दिन शुभ काम के लिये पंचांग देखने की ज़रूरत नहीं होती।
- शास्त्रनुसार इसी दिन से सतयुग और कल्पभेद से त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी। जिस कारण इसे युगादि तिथि भी कहा जाता है।
- वैशाख में सूर्य के तेज से हर जीवधारी क्षुधा पिपासा से व्याकुल हो उठता है।
- अतः इस तिथि में शीतल जल, कलश, चावल, चना, दूध, दही व पेय पदार्थों का दान अक्षय व अमिट पुण्यकारी माना गया है।
- इस दिन गंगा-जमुनादि तीर्थों में स्नान व शिव-पार्वती व नर नारायण की पूजा का विधान है।
अक्षय तृतीया परम पुण्यमयी तिथि है
- भगवान श्रीकृष्ण के अनुसार अक्षय तृतीया परम पुण्यमयी तिथि है।
- इस दिन दोपहर से पूर्व स्नान, जप, तप, होम, स्वाध्याय, पितृ-तर्पण तथा दान आदि करने वाला महाभाग अक्षय पुण्यफल का भागी होता है।
- अक्षय तृतीया स्वयं में महा मुहूर्त है इस दिन कीमती धातु और कपड़े खरीदे जाते हैं।
- इस दिन खरीदे गए कपड़े, आभूषण, ज़मीन और वाहन दीर्धकालीन लाभ देते हैं।
- यह दिन न केवल विवाह आदि के लिए अबूझ मुहूर्त है परंतु इस दिन लक्ष्मी-नारायण के निमित किए गए व्रत, पूजन व उपाय से दरिद्रता दूर होती है, पारिवारिक समृद्धि आती है तथा पैसे की कमी दूर होती है।
पूजन विधि
- घर के ईशान कोण में लाल कपड़ा बिछाकर, भगवान लक्ष्मी-नारायण के चित्र की स्थापना कर विधिवत पूजन करें।
- कांसे के दिये में गौघृत का दीप करें, सुगंधित धूप करें, गोलोचन से तिलक करें, अक्षत, रोली, सिंदूर, इतर, अबीर गुलाल आदि 16 चीजों से षोडशोपचार पूजन करें।
- चावल की खीर का भोग लगाएं। किसी माला से 108 बार यह विशेष मंत्र जपें।
- पूजन उपरांत भोग प्रसाद स्वरूप वितरित करें।
पूजन मंत्र: ह्रीं श्रीं लक्ष्मी नारायणाय नमः॥
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