Mahashivratri: भगवान शिव को सृष्टि का पालनहार माना गया है। भगवान शिव अपने भक्तों की प्रार्थना से अतिशीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। यही कारण है कि महाशिवरात्रि जैसे पावन अवसर पर लाखों की संख्या में शिवभक्त अपनी-अपनी प्रार्थना लेकर मठ एवं मंदिरों में पूजा-पाठ के लिए उमड़ते हैं। मान्यता है कि इस विशेष दिन पर भगवान शिव की आराधना करने से सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं और भक्तों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। इन सभी के साथ शिवरात्रि के दिन सभी 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन भक्तों को विशेष लाभ मिलता है। आइए जानते हैं ओंकारेश्वर ज्योतिलिंग से जुड़ी कुछ रोचक बातें और बाबा ओंकारेश्वर की कथा।
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ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कथा (Omkareshwar Jyotirlinga)
शिव पुराण की कथा के अनुसार एक बार देवर्षि नारद पृथ्वी पर भ्रमण कर रहे थे। वह कुछ समय विश्राम करने के लिए विध्यांचल पर्वत पर पहुंचे। तब पर्वतराज विंध्याचल ने नारद मुनि का स्वागत किया और वह अपने धन, संपदा की बाते करने लगा। नारद मुनि विध्यांचल के अभिमान को समझ गए और उन्होंने उसकी बातें सुनकर एक लंबी सांस खींची और मौन खड़े हो गए। देवर्षि को चुप खड़ा देख पर्वतराज चिंतित हो गया और पूछा कि मेरे पास कौन सी कमी है, जिसे देखकर आपने इतनी लंबी सांस लीं?
नारद मुनि ने विध्यांचल के घमंड को तोड़ते हुए कहा कि तुम सुमेरू पर्वत से ऊंचे नहीं हो। उसका शिकर देवलोक तक पहुंचता है, किन्तु तुम्हारे शिखर का भाग कदापि वहां तक नहीं पहुंच पाएगा। ऐसा कहकर नारद मुनि वहां से आगे प्रस्थान कर गए। लेकिन देवर्षि की इस बात को सुनकर पर्वतराज को बहुत दुःख हुआ और उसे अपनी गलती का आभास भी हो गया। तब उसने अपनी गलती के प्रायश्चित के लिए भगवान शिव की उपासना का निर्णय लिया और एक शिवलिंग को स्थापित कर भोलेनाथ की उपासना करने लगा। 6 माह की कठिन पूजा के बाद भगवान विध्यांचल से अतिप्रसन्न हुए और उसके समक्ष प्रकट हुए।
तब भगवान शिव ने विध्यांचल से वर मांगने के लिए कहा। अपने अराध्य को सामने देख पर्वतराज बहुत प्रसन्न हुआ और उसने बुद्धि व ज्ञान का वरदान मांगा। तब भगवान शिव ने विध्यांचल को वर दिया कि वह जिस कार्य को भी करेगा वह सिद्ध हो जाएगा। इसके कुछ समय बाद देवता व ऋषि-मुनि भी वहां पर पहुंचे और उन्होंने भोलेनाथ को इसी स्थान पर विराजमान होने की प्रार्थना की। अपने भक्तों की प्रार्थना से प्रसन्न होकर भोलेनाथ यहां ओंकारेश्वर के रूप में आसीन हो गए।
ओंकारेश्वर मन्दिर से जुड़ी बातें (Omkareshwar Jyotirlinga)
मध्य प्रदेश में स्थित शिवपुरी में दो ज्योतिर्लिंगों की पूजा की जाती है। एक ओंकारेश्वर और अमलेश्वर। यह मंदिर नर्मदा नदी के उत्तरी तट पर स्थित है और कहा जाता है कि यहां के तट का आकार ‘ॐ’ रूप में है। जानकारी के लिए बता दें कि ओंकारेश्वर मन्दिर में पंचमुखी ज्योतिर्लिंग की पूजा की जाती है और रात्रि 08:30 बजे भगवान शिव की शयन आरती की जाती है। ऐसी मान्यता है कि तीनों लोकों का भ्रमण करने के बाद भगवान शिव इसी स्थान पर विश्राम करते हैं।
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