संतान के दीर्घायु और खुशहाल जीवन का व्रत अहोई अष्टमी (AhoiAshtami) हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होता है। दिवाली से 6 या 7 दिन पूर्व अहोई अष्टमी का व्रत होता है। इस वर्ष अहोई अष्टमी(AhoiAshtami) का व्रत 08 नवंबर दिन रविवार को है। इस दिन माताएं अपनी संतान की खुशहाल और सुखी जीवन के लिए व्रत रखती हैं। यह व्रत मुख्यत: सूर्योदय से लेकर सूयोस्त के बाद तक होता है। शाम के समय में आकाश में तारों को देखकर व्रत का पारण किया जाता है। कुछ स्थानों पर माताएं चंद्रमा दर्शन के बाद पारण करती हैं।
आइए जानते हैं कि अहोई अष्टमी की तिथि, पूजा का मुहूर्त तथा पारण का समय क्या है?
अहोई अष्टमी की तिथि
इस वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 08 नवंबर को सुबह 07 बजकर 29 मिनट से हो रहा है। इस तिथि का समापन 09 नवंबर को सुबह 06 बजकर 50 मिनट पर होगा। ऐसे में अहोई अष्टमी का व्रत 8 नवंबर को रखा जाएगा।
यह भी खबरें पढें :
- KANPUR डीएम और उनकी पत्नी, बेटा कोरोना पॉजिटिव
- 499 वर्ष बाद इस #DIWALI पर बन रहा दुर्लभ योग
- #HATHRASSCANDAL : एडीजी कानून-व्यवस्था, गृह सचिव #HIGHCOURT में पेश
- #KANPUR में हाइकोर्ट के आदेश की अनदेखी, सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ रही धज्जियां
- दोबारा #LOCKOUDAN पर भड़के लोग
- #SUPREMECOURT ने केंद्र से कहा-डिसइंफेक्शन टनल्स को लेकर जारी करें दिशा-निर्देश’
पूजा मुहूर्त
अहोई अष्टमी के दिन अहोई माता की पूजा विधि विधान से की जाती है। इस दिन पूजा के लिए शाम को 01 घण्टा 19 मिनट का समय है। आपको अहोई अष्टमी की पूजा शाम 05 बजकर 37 मिनट से शाम 06 बजकर 56 मिनट के बीच कर लेना चाहिए।
पारण का समय
अहोई अष्टमी (AhoiAshtami) का व्रत तारों के देखने के बाद पारण के साथ पूरा होता है। 08 नवंबर को शाम 08 बजकर 02 मिनट पर तारों को देखने का समय है। इसके बाद आप पारण करके व्रत को पूरा कर सकती हैं।
यह भी खबरें पढें :
- यह पटाखे रखना और बेचना दंडनीय घोषित, मिलेगी सजा
- 18 राज्यों में पटाखों पर पूरे महीने लगेगा बैन?
- #INDIANRAILWAY : ट्रेन यात्रा से पहले जानें ये जरूरी बात
- नकली शराब पीने से 20 लोगों की मौत
- #YOGISARKAR ने आईएएस अफसरों को हटाया, जानें…
चंद्रोदय का समय
अहोई अष्टमी (AhoiAshtami) के दिन चंद्रमा काफी देर से दिखाई देगा। इस दिन देर रात 12 बजकर 02 मिनट पर चंद्रोदय होगा। ऐसे में अधिकतर व्रती तारों को देखने के बाद पारण कर लेती हैं। अधिकतर जगहों पर तारों को देखकर ही व्रत पूरा करने की परंपरा है।