ये है #रावण फूंकने का सही समय
पुराणों और शास्त्रों में दशहरे से जुड़ी कई कथाओं का वर्णन मिलता है लेकिन सबका सार यही है कि यह त्योहार असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन श्री राम जी ने रावण को मारकर असत्य पर जीत प्राप्त की थी, तभी से यह दिन विजयादशमी या दशहरे के रूप में प्रसिद्ध हो गया।
शुभ समय 19 अक्टूबर 5:59 मिनट तक रहेगा
सम्पूर्ण भारत में यह त्योहार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को बड़े ही उत्साह और धार्मिक निष्ठा के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष दशहरा 19 अक्तूबर को मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार विजयादशमी यानी दशहरा 19 अक्टूबर को मनाया जाएगा। दशमी तिथि का आरंभ 18 अक्टूबर को 3:26 मिनट से हो जाएगा। शुभ समय 19 अक्टूबर 5:59 मिनट तक रहेगा।
विजयादशमी या दशहरे के रूप में प्रसिद्ध
देवी भागवत के अनुसार इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस को परास्त कर देवताओं को मुक्ति दिलाई थी, इसलिए दशमी के दिन जगह-जगह देवी दुर्गा की मूर्तियों की विशेष पूजा की जाती है। कहते हैं, रावण को मारने से पूर्व श्री राम ने दुर्गा की आराधना की थी। मां दुर्गा ने उनकी पूजा से प्रसन्न होकर उन्हें विजय का वरदान दिया था। भक्तगण दशहरे में मां दुर्गा की पूजा करते हैं। कुछ लोग व्रत एवं उपवास करते हैं। दुर्गा की मूर्ति की स्थापना कर पूजा करने वाले भक्त मूर्ति-विसर्जन का कार्यक्रम भी गाजे-बाजे के साथ करते हैं।
अहंकार ही उसके विनाश कारण बना
विजयादशमी का दिन हमें प्रेरणा देता है कि हमें अहंकार नहीं करना चाहिए, क्योंकि अहंकार के मद में डूबा हुआ एक दिन अवश्य मुंह की खाता है। रावण बहुत बड़ा विद्वान और वीर था परंतु उसका अहंकार ही उसके विनाश कारण बना। यह त्यौहार जीवन को हर्ष और उल्लास से भर देता है, साथ ही यह जीवन में कभी अहंकार न करने की प्रेरणा भी देता है।
इस त्यौहार का नाम क्यों पड़ा दशहरा
पौराणिक मान्यता के अनुसार इस त्यौहार का नाम दशहरा इसलिए पड़ा क्योंकि इस दिन भगवान पुरुषोत्तम राम ने दस सिर वाले रावण का वध किया था। तभी से दस सिरों वाले रावण के पुतले को हर साल दशहरा के दिन इस प्रतीक के रूप में जलाया जाता है ताकि हम अपने अंदर के क्रोध, लालच, भ्रम, नशा, ईर्ष्या, स्वार्थ, अन्याय, अमानवीयता एवं अहंकार को नष्ट करें।