शारदीय नवरात्र (Sharadiya Navratri) इस बार पंचमी और षष्ठी की तिथि एक दिन होने से यह पर्व आठ ही दिनों का होगा। इसका समापन 14 अक्तूबर गुरुवार को होगा। वहीं 15 अक्तूबर को दशहरा मनाया जाएगा।
#SHARDIYANAVRATRI: मां दुर्गा के इन रूपों की होती है पूजा, जानें शुभ मुहूर्त #SHARDIYANAVRATRI : जानें कलश स्थापना मुहूर्त, दुर्गाष्टमी और दशहरा के… नवरात्रि में करें मां दुर्गा के इन बीज मंत्रों का जाप
घोड़े पर हो रहा मां का आगमन, हाथी पर प्रस्थान
पंडित के अनुसार, इस बार माता का आगमन घोड़े पर हो रहा है, जो सामान्य फलदायक है, लेकिन दशमी शुक्रवार को होने से माता का प्रस्थान हाथी पर हो रहा है, जो शुभ फलदायक होगा। इससे समस्त व्यक्तियों में नई स्फूर्ति, नव चेतना का संचार होगा। साथ ही सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी।
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कलश स्थापना मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, सात अक्तूबर को प्रतिपदा की तिथि दिन में तीन बजकर 28 मिनट तक है। उक्त समय के भीतर कभी भी कलश की स्थापना की जा सकती है। वहीं सुबह 11 बजकर 36 मिनट से दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक अभिजित मुहूर्त है। इस दौरान कलश स्थापना करना अति शुभ होगा।
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ऐसे करें पूजा
ज्योतिर्विद के अनुसार नवरात्र का पर्व आरंभ करने के लिए मिट्टी की वेदी बनाकर उसमें जौ और गेहूं मिलाकर बोएं। उस पर विधि पूर्वक कलश स्थापित करें। कलश पर देवीजी मूर्ति (धातु या मिट्टी) अथवा चित्रपट स्थापित करें। नित्यकर्म समाप्त कर पूजा सामग्री एकत्रित कर पवित्र आसन पर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठें और आचमन, प्राणायाम, आसन शुद्धि करके शांति मंत्र का पाठ कर संकल्प करें। दीपक जला लें। सर्वप्रथम क्रमश: गणेश-अंबिका, कलश (वरुण), मातृका पूजन, नवग्रहों का पूजन करें। इसके बाद माता का श्रद्धा भाव से पूजन करें।
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13 को महानिशा पूजा, 14 को होगी पूर्णाहुति
पंडित के अनुसार, 12 अक्तूबर को नवरात्र की सप्तमी पूरे दिन और रात्रि को एक बजकर 49 मिनट तक है। मूल नक्षत्र का योग होने से पंडालों में मूर्तियों के स्थापन का कार्य इसी दिन होगा। 13 अक्तूबर को महाअष्टमी रात 11 बजकर 42 मिनट तक है। अष्टमी का उपवास इसी दिन रखा जाएगा। महानिशा पूजा भी इसी दिन होगी। 14 अक्तूबर को नवमी रात नौ बजकर 53 मिनट तक है। इस दिन मां दुर्गा के पूजन-अर्चन एवं पूर्णाहुति के लिए सूर्योदय से रात्रि नौ बजकर 53 मिनट का समय उत्तम है। 15 अक्तूबर को व्रत के पारण के साथ ही दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन होगा।
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07 अक्तूबर- मां शैलपुत्री की पूजा व घट स्थापना
08 अक्तूबर- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
09 अक्तूबर- मां चंद्रघंटा की पूजा
10 अक्तूबर- मां कुष्मांडा की पूजा
11 अक्तूबर- मां स्कंदमाता और मां कात्यायनी की पूजा
12 अक्तूबर- मां कालरात्रि की पूजा
13 अक्तूबर- मां महागौरी की पूजा
14 अक्तूबर- मां सिद्धिदात्री की पूजा