पालक में पाया जाने वाला प्रोटीन दुनिया भर में उन लाखों लोगों के लिए नई दवाओं के विकास में मदद कर सकता है जो शराब के सेवन से होने वाली परेशानियों, पुराने दर्द और मूड डिसऑर्डर से जूझ रहे हैं. पर्ड्यू विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में हुई रिसर्च में दो पेप्टाइड्स की खोज की गई जो प्राकृतिक रूप से रूबिसो के मेटाबॉल्जिम प्रोडक्ट्स हैं. इसमें पाया गया है कि पालक जैसे पौधों में पाया जाने वाला प्रोटीन नई दवाओं के विकास में सहायता कर सकता है. पर्ड्यू के प्रोफेसर रिचर्ड वान रिज्न कहते हैं कि इस प्रकार के डिसऑर्डर को अब तक सही रूप से मैनेज्ड नहीं किया गया है.
“वे दवाएं जिनके दुष्प्रभाव कम होते हैं साथ ही जो पूरी तरह से बीमारी को खत्म करने में कारगर होती हैं, वे फायदेमंद साबित होंगी” वैन रिज्न ने ये भी कहा कि हमने ऐसे पेप्टाइड्स की खोज की है जो रिसेप्टर को नुकसान पहुंचाए बिना लोगों को फायदा पहुंचा सकते हैं.
वैन रिजन कहते हैं कि प्रीक्लिनिकल रिसर्च से पता चलता है कि पेप्टाइड्स वो उपलब्ध जैव हैं जो ब्लड ब्रेन बैरियर को सही करने में सक्षम हैं. ये वो हैं जो सेंट्रल नर्वस सिस्टम के डिसऑर्डर का सही तरीके से इलाज करने के लिए जरूरी हैं. शोधकर्ता इन पेप्टाइड्स को और अधिक प्रभावी बनाने और उनमें सुधार के लिए प्रयास कर रहे हैं
रुबिसोलिन पेप्टाइड्स के सेवन और उसकी क्षमता की जांच की जा रही है. यहां तक कि ये करर्शियल एंटी-एजिंग स्किन प्रोडक्ट्स में भी मौजूद हैं.
यूरोपीय न्यूरोसाइकोफार्माकोलजी में प्रकाशित रिसर्च का उद्देश्य ऐसे अणुओं का विकास करना है जो केवल चिकित्सीय प्रभाव से जुड़े सेलुलर सिग्नलिंग तरीकों को सक्रिय करते हैं.
Source : ndtv