मोरेटोरियम अवधि के दौरान लोन की किस्त अदायगी में ब्याज की छूट
#COVID19: कोरोना के चलते मोरेटोरियम अवधि के दौरान लोन की किस्त अदायगी में ब्याज की छूट दिए जाने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट supreme court में दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि बैंक और वित्तीय संस्थानों को आदेश दिया जाए ताकि कर्ज में ग्राहकों से मोरेटोरियम अवधि के दौरान ब्याज न लें.
केंद्र सरकार ने 14 अप्रैल तक लॉकडाउन की घोषणा की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च से 21 दिन के लिए देशभर में लॉकडाउन का ऐलान किया है. लेकिन इस लॉकडाउन की वजह से सभी काम-धंधे बंद हैं, लोगों के सामने नकदी का संकट है.
सभी तरह की EMI पर तीन महीने तक मोहलत
लॉकडाउन की स्थिति को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) rbi guidelines ने पिछले महीने सभी तरह की EMI पर तीन महीने तक मोहलत देने की घोषणा की थी, ताकि लोगों को समस्या न हो. लेकिन नियम के मुताबिक मोरेटोरियम सुविधा का लाभ लेने पर ग्राहकों को लोन पर अतिरिक्त इंट्रेस्ट का भुगतान करना होगा.
सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है मामला
अब ब्याज का यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है और EMI पर अतिरिक्त ब्याज न वसूलने की मांग की गई है. अगर सुप्रीम कोर्ट याचिकाकर्ता के पक्ष में कोई फैसला देता है तो फिर लोन के ग्राहकों के लिए यह बड़ी राहत होगी.
अतिरिक्त ब्याज का भुगतान
याचिका के मुताबिक जब लोगों की नौकरियों पर संकट हो और उनसे आय का साधन छीन लिया गया हो तो सरकार और बैंकों को मानवीय नजरिया अपनाना चाहिए. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि नियमित ईएमआई के साथ अतिरिक्त ब्याज का भुगतान करने का कोई अर्थ नहीं है, इसलिए राज्य का कर्तव्य है कि संकट के इस समय में उधारकर्ताओं को छूट दी जाए.
ग्राहकों से अतिरिक्त ब्याज नहीं वसूलें
याचिका में कहा गया है कि लॉकडाउन के चलते लोग बेहद परेशानी के दौर से गुजर रहे हैं. जब पूरा देश स्वास्थ्य आपातकाल से प्रभावित है, वित्तीय संस्थानों को लाभ अर्जित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. इसलिए अदालत उचित आदेश जारी करे कि सार्वजनिक हित में बैंक और वित्तीय संस्थान कम से कम मोरेटोरियम पीरियड के लिए अपने ग्राहकों से अतिरिक्त ब्याज नहीं वसूलें.