Tirupati Laddu Case : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने चंद्रबाबू नायडू के लिए कहा, ”आप संवैधानिक पद पर हैं. हम उम्मीद करते हैं कि भगवान को राजनीति से दूर रखा जाए. Tirupati Laddu Case
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अगर आपने पहले ही जांच के आदेश दे दिए थे तो मीडिया में जाने की क्या ज़रूरत थी? लैब रिपोर्ट जुलाई में आई. आपका बयान सितंबर में आया. रिपोर्ट में भी सब कुछ साफ़ नहीं है.” इस मामले में अब तीन अक्तूबर की दोपहर सुनवाई होगी.
आंध्र प्रदेश के तिरुपति (Tirupati) मंदिर में प्रसाद के लड्डू में कथित तौर पर ‘जानवरों की चर्बी’ होने के मामले में 30 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू की उस टिप्पणी पर नाराज़गी ज़ाहिर की, जिसके बाद से लड्डू विवाद शुरू हुआ.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ”राजनीति और धर्म को मिलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती.” कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर जांच चल रही थी तो मीडिया में जाने की ज़रूरत क्या थी?
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चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) ने 19 सितंबर को दावा किया था, ”पिछली सरकार के दौरान तिरुमला लड्डू को बनाने में शुद्ध घी की बजाय जानवरों की चर्बी वाला घी इस्तेमाल किया जाता था.” इस मामले में विवाद काफी बढ़ गया है और सुप्रीम कोर्ट में तीन से ज़्यादा याचिकाएं दाखिल की गईं. याचिका दाखिल करने वालों में सुब्रमण्यम स्वामी, राज्यसभा सांसद वाईवी सुब्बा रेड्डी और इतिहासकार विक्रम संपत भी शामिल हैं.
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याचिकाओं में लड्डू तैयार किए जाने और मंदिर के संचालन को लेकर दिशा निर्देश देने की बात भी कही गई. इस मामले में सुनवाई जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने की. सुनवाई शुरू होने से पहले जस्टिस गवई ने मज़ाकिया लहज़े में कहा- उम्मीद है कि हमें लंच में लड्डू नहीं खाने होंगे.
सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने कहा, ”आपने स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) बनाई. जांच की रिपोर्ट आने से पहले ही आप मीडिया में क्यों गए?” जस्टिस केवी विश्वनाथन ने कहा, ”इस मसले पर अगर आप पूरी तरह से पुख़्ता नहीं थे तो आप जनता के बीच क्यों गए. जांच का मकसद क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि अब तक ये भी साबित नहीं हुआ है कि जिस घी के बारे में बात हो रही है, वो लड्डू बनाने में इस्तेमाल हुआ भी है या नहीं. आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से कोर्ट में कहा गया कि घी की गुणवत्ता की जांच की जा रही है.
इस पर जस्टिस गवई ने कहा, ”तो आपको फौरन मीडिया में क्यों जाना था? आपको धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना चाहिए.”
सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि इस बात का सबूत कहां है कि यही वो घी है, जिसका लड्डू बनाने में इस्तेमाल हुआ. आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से मुकुल रोहतगी सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए. रोहतगी ने कहा कि हमारे पास रिपोर्ट्स हैं.
इस पर जस्टिस विश्वनाथन ने कहा, ”रिपोर्ट साफ नहीं है. पहली नज़र में ऐसे संकेत मिलते हैं कि ये वो सामग्री नहीं है, जिसे लड्डू बनाने में इस्तेमाल किया गया.”
कोर्ट ने आंध्र सरकार से ये भी कहा- आप कह सकते हैं कि टेंडर गलत तरीके से दिए गए, मगर ये कहना कि मिलावट वाला घी इस्तेमाल किया गया… इसके सबूत कहां हैं?
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इस पर जस्टिस गवई ने कहा- ”आपके हिसाब से जिन लड्डू का स्वाद अलग था, क्या वही लड्डू नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) में जांच के लिए भेजे गए थे?”
सुप्रीम कोर्ट ने 30 सितंबर यानी सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान कहा कि अच्छा ये होगा कि सॉलिस्टर जनरल इस मामले में सहयोग करें कि क्या एसआईटी जांच को ही जारी रहने दिया जाए या फिर किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच करवाई जाए?