प्रदोष व्रत हिंदू धर्म के अहम व्रतों में से एक
#Sawan : प्रदोष व्रत हिंदू धर्म के अहम व्रतों में से एक है । सावन का पहला प्रदोष व्रत 18 जुलाई को है। इस दिन भगवान शिव की आराधना की जाती है। सावन में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। अगर व्यक्ति यह व्रत श्रद्धापूर्वक और विधि-विधान के साथ करता है तो उसे मोक्ष प्राप्त होता है। साथ ही व्यक्ति के पाप भी धुल जाते हैं।
प्रदोष व्रत करते समय इन बातों का रखें ख्याल:
त्रयोदशी के दिन प्रात:काल सूर्य उदय से पहने उठना चाहिए।
सभी कामों से निवृत होकर भोलेनाथ को याद करें।
ध्यान रहे कि इस व्रत में खाना नहीं खाया जाता है।
पूरा दिन व्रत करें और सूर्यास्त से एक घंटा पहले स्नान करें। इसके बाद श्वेत वस्त्र धारण करें।
जहां पूजा करनी है उस स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें। फिर गाय के गोबर से मंडप तैयार करें।
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5 रंगों का इस्तेमाल कर मंडप पर रंगोली बनाएं।
इस व्रत के लिए कुशा का आसान इस्तेमाल किया जाता है।
भगवान शंकर की आराधना उतर-पूर्व दिशा की ओर मुख कर ही करनी चाहिए।
ऊँ नम: शिवाय का जाप करते हुए भोलेनाथ को जल चढ़ाए।
त्रयोदशी तिथि को ही प्रदोष व्रत का उद्यापन करें।
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