Tungnath Temple History: सनातन शास्त्रों में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व बताया गया है। Tungnath Temple History
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साथ ही शिव जी को फल और मिठाई समेत आदि चीजों का भोग लगाते हैं और इस दिन महादेव के दर्शनों (Tungnath temple darshan) के लिए मंदिर का प्लान बनाते हैं।
रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है…
तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। पंच केदारों में तुंगनाथ मंदिर शामिल है। ऐसे में आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी खास बातें। (highest shiva temple)
तुंगनाथ मंदिर का इतिहास (Tungnath Temple History)
धार्मिक मान्यता के अनुसार, तुंगनाथ मंदिर का निर्माण भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पांडवों ने किया था। इस मंदिर को भारतीय वास्तुकला शैली में बनाया गया है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी स्थान पर मां पार्वती ने महादेव को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या की थी। एक अन्य मान्यता के अनुसार, भगवान राम जी ने रावण का अंत करने के बाद इसी स्थान पर तपस्या की थी। क्योंकि रावण ब्राह्मण था, तो राम जी को ब्रह्महत्या दोष लगा था, जिससे मुक्ति पाने के लिए राम जी ने तपस्या की थी।
इस मंदिर की कुछ दूरी पर चंद्रशिला मंदिर है। इस मंदिर के दर्शन न करने से तुंगनाथ मंदिर में विराजमान महादेव के दर्शन अधूरे माने जाते हैं। यह मंदिर समुद्र तल से करीब 3680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस मंदिर की सुंदरता बेहद खास है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अधिक बर्फबारी होने की वजह से तुंगनाथ मंदिर नवंबर और मार्च के बीच में बंद रहता है। यह मंदिर महादेव के प्रमुख मंदिरों में शामिल है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। JAIHINDTIMES यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है।