UTTAR PRADESH BIG NEWS : काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Dham) में महाप्रसादम् व्यवस्था में बदलाव को लेकर स्थानीय लोगों में खासी नाराजगी है। अब तक महाप्रसादम् (Prasadam) को बनाने वाली संस्थाओं ने भी इस पर सवाल खडा कर दिया है। UTTAR PRADESH BIG NEWS
काशी विश्वनाथ धाम का प्रसादम् बदला, कितने रूपये किलो मिलेगा?
काशी विश्वनाथ में महाप्रसादम् की व्यवस्था बदल दी गई। अब गुजरात की कंपनी AMUL महाप्रसादम् तैयार करेगी। मंदिर प्रशासन के अचानक लिए गए फैसले के बाद 5 साल से प्रसाद तैयार करने वाले कारीगर बेरोजगार हो गए हैं।
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काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास (प्रबंधन) ने यहां महा प्रसाद यानी लड्डू-पेड़ा तैयार करने की जिम्मेदारी 2 संस्थाओं को दी थी। इसमें पहली और प्रमुख संस्था महालक्ष्मी ट्रेडर्स है। दूसरी संस्था बेला पापड़ स्वयं सहायता समूह है। दोनों मिलकर हर दिन करीब 1 हजार किलो महा प्रसाद तैयार करते।
महालक्ष्मी ट्रेडर्स के अशोक सेठ ने बताया कि 5 साल से हम प्रसाद तैयार कर रहे थे। अब कारीगर बेरोजगार हो गए। मंदिर न्यास ने अंदर काउंटर पर लगाए गए सैकड़ों प्रसाद के डिब्बे वापस कर दिए। शनिवार को न्यास ने नई पैकिंग पर रोक लगा दी। काशी विश्वनाथ की फोटो लगवाकर महाप्रसाद के लिए छपवाए 5 लाख डिब्बे रद्दी हो गए। प्रसाद के लिए मंगाई गई 10 लाख रुपए की सामग्री भी अब किसी काम की नहीं। इस फैसले से हमारे लगभग 20 कारीगर भी बेरोजगार हो गए। हमारे यहां काम करने वाली महिलाएं भी परेशान हो गई। अधिकारियों से बात की, जो अब हमारी सुनने को तैयार नहीं। इस फैसले को ऊपर का फैसला बताते हैं और हमारा माल लौटा दिया। मेरी सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी से अपील करते हैं कि हम पांच साल से इस महाप्रसाद से जुड़े थे हमें इससे अलग ना किया जाए।
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प्रसादम् बदल गया
वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम (Kashi Vishwanath Dham) का प्रसादम् आज (12 अक्टूबर) से बदल गया। अब मंदिर का अपना प्रसादम् बिकेगा। दशहरा पर बाबा विश्वनाथ को प्रसादम् चढ़ाया गया। मंदिर परिसर में बने काउंटर से ही भक्त इसको खरीद सकेंगे। प्रसादम् (Prasadam) के लिए कोई नया रेट लागू नहीं हुआ है। 60 रुपए में 120 ग्राम यानि तीन लड्डू, 120 रुपए में 250 ग्राम यानि छह लड्डू मिलेंगे। काशी विश्वनाथ न्यास ने यह फैसला श्री तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसादम् की गुणवत्ता और मिलावट के बाद लिया। न्यास ने बाहर से तैयार प्रसाद खरीदने की जगह मंदिर परिसर में ही प्रसाद बनवाने का फैसला लिया है।
मंदिर न्यास के तर्क
Prasadam बनाने में सिर्फ हिंदू कारीगर ही लगाए जाएंगे।
धार्मिक मान्यता और नियमों के हिसाब से ही प्रसादम् बनेगा।
प्रसादम् बनाने से पहले कारीगरों को स्नान करना अनिवार्य रहेगा।
पुराण और शास्त्रों को पढ़कर तय किया गया नया प्रसादम्
काशी के विद्वानों का क्या कहना है…
सुदामा ने कृष्ण को दिए थे चावल
विद्वानों के मुताबिक, धान भारतीय फसल है। इसका जिक्र पुराणों में है। भगवान कृष्ण और सुदामा के संवाद में भी चावल का जिक्र है। भगवान भोले शंकर को चावल के आटे का भोग लगता था।
बेल पत्र का महत्व है, इसलिए बाबा विश्वनाथ को चढ़ने वाले बेलपत्र को जुटाया गया, फिर इसे धुलकर साफ कराया गया। सूखने के बाद बेलपत्र का चूर्ण बनाया गया, फिर इसे प्रसादम् में मिलाया गया।
मंदिर में तैयार होगा, मंदिर में ही मिलेगा
CEO विश्वभूषण मिश्रा ने बताया- Kashi Vishwanath Dham मंदिर ने आज से परिसर में ही बना हुआ Prasadam भक्तों को देने का फैसला किया है। विजयदशमी पर प्रसादम् बाबा विश्वनाथ को चढ़ाया गया। अब इसी प्रसाद की मंदिर परिसर के काउंटर से बेचने की शुरुआत होगी। विद्वानों की टीम ने शास्त्रों के अध्ययन के बाद नए प्रसादम् पर फैसला लिया गया। प्रसादम् शास्त्रों के अनुसार होगा। इसके लिए शिव पुराण समेत अन्य धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया गया है।
अमूल को प्रसाद बनाने की जिम्मेदारी
बाबा Vishwanath के प्रसादम् के प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी अमूल कंपनी को मिली है। कंपनी ने नियमों और शर्तों के मुताबिक, 10 दिन का प्रसादम् बना दिया है, इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रमाणीकरण संस्था से मंजूरी मिल चुकी है। आज से इसी प्रसाद की ब्रिकी शुरू हुई है। आरती में शामिल होने वाले भक्तों को भी यही प्रसाद दिया गया।
40 से 50 सैंपलिंग के बाद हुआ तैयार
इस नए प्रसाद के 40 से 50 सैंपल्स तैयार किए गए थे। जिनकी टेस्टिंग के बाद सभी चीजों का उचित मिश्रण देखकर इस प्रसाद को फाइनल किया गया। इस प्रसाद में बाबा विश्वनाथ पर चढ़ाए गए बेलपत्र के चूर्ण का भी प्रयोग किया गया है। इसका रंग इस लड्डू प्रसादम में भी दिखाई देगा। अलग-अलग मानकों पर इसकी जांच की गई। करीब 10 महीने में इस नए प्रसाद की रेसिपी को मंदिर ट्रस्ट ने फाइनल किया।