UTTAR PRADESH NEWS : जनहित में इनका तबादला निरस्त किया जाए, इनके अनुभव की विभाग को सख्त जरूरत है।” चीफ सेक्रेटरी ने जनहित में 6 महीने के लिए तबादले का आदेश रद्द कर दिया। हम बात कर रहे हैं डिप्टी सेक्रेटरी प्रवीण कुमार सिंह की, जो नियुक्ति विभाग के अनुभाग-5 में पिछले 8 सालों से तैनात हैं।
सालों से एक ही विभाग में जमे एक डिप्टी सेक्रेटरी लेवल के अफसर के ट्रांसफर का आदेश जारी हुआ। मगर, एक हफ्ते में ही डिप्टी सेक्रेटरी को खास अनुभाग से न हटाने के लिए विभाग के अपर मुख्य सचिव स्तर के IAS ने मुख्य सचिव को चिट्ठी लिख दी। UTTAR PRADESH NEWS
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IAS अफसरों की शिकायत से जुड़ी चिट्ठी आती
सचिवालय सेवा के अफसर प्रवीण कुमार इसी विभाग में सेक्शन अफसर रहे। अंडर सेक्रेटरी और अब डिप्टी सेक्रेटरी हैं। ये नियुक्ति विभाग के जिस अनुभाग-5 का कामकाज देखते हैं। वहां यूपी कैडर के सारे IAS अफसरों की शिकायत से जुड़ी चिट्ठी आती हैं। देशभर में कहीं भी यूपी के IAS अफसरों के खिलाफ कोई शिकायत की जाती है। तो वो चिट्ठी सीधे अनुभाग-5 के पास भेज दी जाती है।
दरअसल, ब्यूरोक्रेसी के लिहाज से अनुभाग-5 बेहद महत्वपूर्ण है। क्योंकि, प्रधानमंत्री कार्यालय, राष्ट्रपति भवन, मुख्यमंत्री कार्यालय, लोकायुक्त कहीं भी IAS की शिकायत होने पर चिट्ठी यहीं पहुंचती है। IAS अफसरों का सारा लेखा-जोखा इसी अनुभाग के अफसर देखते हैं। UTTAR PRADESH NEWS
खास बात यह है कि इस साल जुलाई में हुआ Praveen Kumar का ट्रांसफर पहली बार नहीं रोका गया। बल्कि, इससे पहले भी जनहित के कार्यों को देखते हुए दो बार उनके तबादले को रद्द किया जा चुका है। यानी 8 साल में 3 बार। सिर्फ प्रवीण कुमार ही नहीं, एक और सचिवालय सेवा के डिप्टी सेक्रेटरी हैं पुष्पेंद्र सिंह। वो भी सालों से नियुक्ति विभाग में अंगद के पैर की तरह जमे हैं। बड़े से बड़े अफसर आए और चले गए। लेकिन, इन दोनों को इनकी कुर्सी से कोई हिला नहीं पा रहा।
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प्रमुख सचिव बोले-
इस बारे में सचिवालय प्रशासन विभाग (Secretariat Administration Department) के प्रमुख सचिव के. रविन्द्र नायक से बात की। उन्होंने ये बात मानी कि सचिवालय सेवा में 3 साल, 5 साल, 7 साल की सेवा के तीन ब्रैकेट हैं। मगर कई बार स्पेशल केस में नियमों में थोड़ी शिथिलता बरतते हैं। अगर किसी के खिलाफ कोई शिकायत हो, तो जरूर उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है। उसमें किसी तरह की हीलाहवाली नहीं होती। लेकिन प्रवीण कुमार सिंह का तबादला क्यों रोका गया? इस सवाल पर वह अनभिज्ञता जाहिर करते हैं। कहते हैं कि जिस विभाग में अफसर की तैनाती है। वहां के विभागाध्यक्ष को फैसला लेने का अधिकार होता है। UTTAR PRADESH NEWS
अपर मुख्य सचिव ने कहा
अपर मुख्य सचिव नियुक्ति देवेश चतुर्वेदी का कहना है कि प्रवीण कुमार सिंह के अनुभव को देखते हुए जनहित में इनका ट्रांसफर रोका गया है। इनके अनुभव का विभाग को लाभ मिलता रहे। इसलिए तबादला निरस्त करने की चिट्ठी मुख्य सचिव को भेजी थी। फिलहाल 6 महीने के लिए ही उनका तबादला रोका गया है। अगर उनके खिलाफ कोई शिकायत मिलती है तो एक्शन जरूर लिया जाएगा।
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नियुक्ति विभाग के सूत्रों के मुताबिक, अगर किसी आईएएस की शिकायती चिट्ठी आती है तो अनुभाग-5 देखता है। अनुभाग के अफसर और बाबू संबंधित अफसर जिसके खिलाफ जांच आई होती है। उसको सूचित भी कर देते हैं।
अनुभाग-5 कितना महत्वपूर्ण है, ये इस बात से समझा जा सकता है कि यहीं के अनुभाग अधिकारी रहे शशिकांत मिश्रा पर आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में विजिलेंस की खुली जांच चल रही है। ये जांच करीब 40 करोड़ की सम्पत्ति मामले में बताई जा रही है। नियुक्ति विभाग में ही काम करने वाले बाबू ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कई बार शिकायतकर्ता के पते पर खाली लिफाफा भेज दिया जाता है या सादा कागज। ताकि डाक रजिस्टर पर ये चढ़ जाए कि पत्राचार हुआ और किसी तरह का संतोषजनक जवाब न मिलने के कारण शिकायत को निराधार मानते हुए फाइल बंद कर दी जाए। UTTAR PRADESH NEWS
SOURCE : दैनिक भास्कर