UTTAR PRADESH NEWS : यूपी में LOK SABHA ELECTION 2024 के रिजल्ट आए डेढ़ महीने हो गए, लेकिन BJP में खींचतान कम नहीं हो रही। लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद UTTAR PRADESH बीजेपी ने 15 पेज की एक विस्तृत रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को भेजी है.
हार के जिम्मेदार कौन हैं, इस पर चर्चा चल रही है। संगठन बड़ा है या सरकार, इस पर भी बहस छिड़ गई है। भाजपा कार्यकर्ताओं की थाना-तहसील में सुनवाई न होना और अनदेखी काे मुद्दा बनाया जा रहा है।
खराब चुनाव रिजल्ट को लेकर 80 सीटों पर समीक्षा रिपोर्ट तैयार की गई थी। सभी सीटों से एक कॉमन बात निकलकर आई। वो यह है कि स्थानीय सांसद से जनता और कार्यकर्ताओं की नाराजगी बढ़ती जा रही थी। साथ ही आरक्षण समाप्त करने, संविधान बदलने जैसे भाजपा नेताओं के विवादित बयानों और लगातार लीक हो रहे भर्ती परीक्षाओं के पेपर ने आग में घी का काम किया। LOK SABHA ELECTION
लगातार पेपर लीक ने बदला माहौल
बीजेपी के एक दूसरे नेता का कहना था कि राज्य में पिछले तीन सालों में हुए करीब 15 पेपर लीक से विपक्ष के इस नैरेटिव को बल मिला कि बीजेपी आरक्षण खत्म करना चाहती है.उन्होंने कहा,”इसके अलावा, सरकारी नौकरियां संविदा कर्मियों से भरी जा रही हैं,जिससे हमारे बारे में विपक्ष के भ्रामक नैरेटिव को बल मिला.”
समीक्षा रिपोर्ट में हार की बड़ी वजह
सांसदों के प्रति नाराजगी : समीक्षा रिपोर्ट में यह बात खुलकर सामने आई कि सांसदों के खिलाफ जनता और कार्यकर्ताओं की नाराजगी थी। कार्यकर्ता इसलिए भी नाराज थे कि थाना-तहसील में उनकी सुनवाई नहीं हो रही। इसी वजह से नाराज कार्यकर्ताओं ने पहले की तरह पूरी शिद्दत से काम नहीं किया। एक बात और निकलकर आई कि ‘अबकी बार 400 पार’ के नारे से कार्यकर्ता अति आत्मविश्वास में आ गए। इससे उनकी कार्यशैली पर असर पड़ा।
सांसद और विधायकों की तकरार में हारे
बस्ती, अयोध्या, बाराबंकी, इटावा, एटा, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर सहित कई सीटों पर भाजपा को सांसद और विधायकों की आपसी खींचतान से हार का सामना करना पड़ा। विधानसभा चुनाव- 2022 के दौरान ही सांसद और विधायकों के बीच टकराव शुरू हो गया था। विधायकों की शिकायत थी कि सांसदों ने चुनाव में उनके विरोध में काम किया।
5 बड़ी सीटों पर सांसद और विधायकों के टकराव के बारे में…
अयोध्या – BJP प्रत्याशी लल्लू सिंह का भी विधायकों से टकराव रहा। विधायक वेद प्रकाश गुप्ता और पार्टी के पदाधिकारियों से उनकी नाराजगी भी हार की वजह बनी।
कन्नौज – भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक का स्थानीय विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों से टकराव रहा।
बस्ती – भाजपा प्रत्याशी और पार्टी के राष्ट्रीय मंत्री हरीश द्विवेदी चुनाव हारे। उनका स्थानीय विधायकों से विवाद था। विधानसभा चुनाव में हरीश द्विवेदी ने भाजपा प्रत्याशियों का विरोध किया था। विधायकों ने विधानसभा चुनाव में उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। हालत यह हुई कि हरीश द्विवेदी ने हरैया से भाजपा विधायक अजय कुमार सिंह की शिकायत की। पार्टी ने अजय कुमार सिंह को चुनाव के दौरान दूसरे जिले में संगठनात्मक जिम्मेदारी देकर बस्ती से दूर कर दिया।
मुजफ्फरनगर – भाजपा प्रत्याशी संजीव बालियान और 2022 में चुनाव हारे संगीत सोम के बीच सीधा टकराव था। संगीत सोम का आरोप है कि बालियान ने उन्हें चुनाव हराने में अहम भूमिका निभाई।
एटा – भाजपा प्रत्याशी राजबीर सिंह उर्फ राजू भैया और विधायक ममतेश शाक्य का सीधा टकराव था। ममतेश के अलावा भी अन्य विधायक पूरे मनोयोग से राजबीर के समर्थन में नहीं थे।
सहारनपुर – भाजपा प्रत्याशी राघव लखनपाल और विधायक राजीव गुंबर के बीच विवाद रहा। राघव लखनपाल अभी भी पार्टी नेतृत्व के समक्ष अपनी हार के लिए विधायकों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
भाजपा समर्थकों से ज्यादा विपक्ष को योजनाओं का फायदा
केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं का फायदा भाजपा समर्थित मतदाताओं से ज्यादा विपक्षी दलों के समर्थकों को मिला। भाजपा चाह कर भी अपने समर्थकों को योजनाओं का फायदा नहीं दिला सकी। इस वजह से भाजपा समर्थकों में नाराजगी थी।
भाजपा विरोधी वोट BSP में न जाकर इंडी गठबंधन को मिले
चुनाव के बीच विवादित बयान के चलते बसपा सुप्रीमो मायावती ने आकाश आनंद को चुनावी जिम्मेदारी और उत्तराधिकारी पद से हटा दिया। इससे भाजपा विरोधी मतदाताओं में संदेश गया कि बसपा, भाजपा के इशारे पर काम कर रही। नतीजा, भाजपा विरोधी जो वोट बसपा को जाना था, वह इंडी गठबंधन में चला गया।
बड़ी सीटों पर हार की वजह
अयोध्या– चुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह ने 400 से अधिक सीटें आने पर संविधान बदलने का बयान दे दिया। उसके बदले पिछड़े और दलित वर्ग ने मथुरा ना काशी, अबकी बार अवधेश पासी का नारा दे दिया। लल्लू सिंह के बयान के बाद पिछड़ा और दलित वर्ग का वोट एकतरफा सपा को शिफ्ट हो गया।
प्रयागराज – भाजपा ने पूर्व राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी के बेटे नीरज त्रिपाठी को प्रत्याशी बनाया था। प्रयागराज में भाजपा की पूर्व सांसद रीता बहुगुणा जोशी का टिकट कटने से उनके समर्थक नाराज थे। वहीं, पूर्व महापौर अभिलाषा नंदी को टिकट नहीं मिलने से वैश्य समाज भी खफा था। जिलाध्यक्ष के चयन के बाद से विधायक और पार्टी के दूसरे पदाधिकारी भी नाराज चल रहे थे।
सुल्तानपुर – भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी से स्थानीय कार्यकर्ता और पदाधिकारी नाराज थे। स्थानीय बाहुबली सोनू सिंह और मोनू सिंह के विरोध के चलते ठाकुर भी मेनका गांधी के खिलाफ थे। सपा प्रत्याशी रामभुवान निषाद की निषाद समाज पर मजबूत पकड़ भी मेनका की हार की वजह बनी।
प्रतापगढ़ – BJP ने संगम लाल गुप्ता को प्रत्याशी बनाया था। संगम लाल के समर्थन में प्रचार करने आई अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल ने जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया के खिलाफ बयान दिया था। उससे ना केवल क्षत्रिय, अन्य जातियां भी नाराज हो गईं।