Vaikuntha Chaturdashi 2023 : बैकुंठ चतुर्दशी (Vaikuntha Chaturdashi) 25 नवंबर 2023 को मनाया जाएगा। इस पवित्र दिन श्री हरि विष्णु और भोलेनाथ की पूजा का विधान है। जो साधक इस दिन सच्ची श्रद्धा से पूजा करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
इस श्राप के कारण भगवान विष्णु ने लिया पत्थर का रूप
बैकुंठ चतुर्दशी कथा
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, एक बार श्री हरि विष्णु भोलेनाथ की पूजा करने के लिए काशी पहुंचे थे। गंगा में स्नान करने के बाद उनके मन में शिव जी को एक हजार स्वर्ण कमल पुष्प अर्पित करने की इच्छा उत्पन्न हुई। पूजा के दौरान भगवान विष्णु ने पाया कि एक फूल की संख्या कम थी। कहा जाता है, इस पुष्प को भगवान शिव विष्णु जी की भक्ति की परीक्षा लेने के लिए छिपा दिया था, जब भगवान विष्णु को वह कमल का फूल नहीं मिला, तो उन्होंने अपनी एक आंख भोलेनाथ को भेंट करने की सोची। Vaikuntha Chaturdashi 2023
क्योंकि नारायण की आंखों को कमल नयन भी कहा जाता है। जैसे ही भगवान विष्णु अपनी आंख चढ़ाने ही वाले थे, वैसे ही भगवान शिव प्रकट हो गए। और उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। अपने प्रति श्री हरि का प्रेम देखकर भोलेबाबा बहुत प्रसन्न हुए।
इसके पश्चात भगवान शिव ने उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान किया और कहा, कि जो भक्त इस पवित्र दिन पर भगवान विष्णु की पूजा करेगा, वो सीधे उनके निवास स्थान यानी बैकुंठ धाम जाएगा। तभी से बैकुंठ चतुर्दशी को बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
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पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें।
घर और पूजा मंदिर को अच्छी तरह से साफ करें।
यह एकमात्र दिन है जब भगवान शिव तुलसी पत्र स्वीकार करते हैं और भगवान श्री हरि विष्णु की बेल पत्र और कमल के फूलों से पूजा की जाती है।
भगवान शिव और श्री हरि विष्णु को गोपी चंदन का तिलक लगाएं।
देसी घी का दीया जलाएं।
फल-मिठाई का भोग लगाएं।
महा मृत्युंजय मंत्र और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
इस दिन व्रत रखने वाले भक्तों के लिए फलों की अनुमति है।
ब्राह्मणों को भोजन और वस्त्रों का दान करें।
इस पवित्र दिन गंगा नदी में स्नान जरूर करें।
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