Vastu Purush: वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) एक भारतीय प्राचीन पद्धति है, जिसका अपने घर और कार्यक्षेत्र में ध्यान रखने पर व्यक्ति को बहुत-से लाभ मिल सकते हैं। Vastu Purush
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वास्तु शास्त्र का संबंध वास्तु पुरुष (Who is Vastu Purush) से माना गया है। साथ ही यह भी माना गया है कि वास्तु पुरुष हर स्थान मौजूद रहते हैं, चाहे वह स्थान छोटा हो या फिर बड़ा। साथ ही इन्हें वास्तु देवता, वास्तु रक्षक आदि नामों से भी जाना जाता है।
कैसे हुई वास्तु पुरुष की उत्पत्ति (How did Vastu Purush come into existence?)
वृहत्संहिता में वास्तु विद्या का प्रार्दुभाव ब्रह्मा जी से बताया गया है। वहीं मत्स्य पुराण में वास्तु पुरुष से संबंधित एक कथा मिलती है, जिसके अनुसार, एक बार भगवान शिव शंकर ने अंधकासुर नामक एक दैत्य का संहार कर दिया। इस दौरान भगवान शिव के ललाट से पसीना पृथ्वी पर जा गिरा, जिससे एक विशालकाय शरीर और भीषण मुख वाले जीव की उत्पत्ति हुई।
ब्रह्मा जी से मांगी मदद (Asked for help from Brahma ji)
आगे चलकर जब वह जीव चारो और आतंक फैलाने लगा। तब भयभीत होकर सभी देवतागण ब्रह्मा जी से उस भयानक राक्षस से रक्षा करने की प्रार्थना करने लगे। ब्रह्मा जी ने उन्हें सलाह दी की आप सभी मिलकर उसे जमीन में दबा दें, लेकिन इस दौरान ध्यान रखें कि उसका सिर उत्तर-पूर्व दिशा में और पैर दक्षिण-पश्चिम दिशा में होने चाहिए।
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ब्रह्मा जी के कहे अनुसार, सभी देवताओं ने ऐसा ही किया और दैत्य का सिर नीचा करके भूमि में गाड़ दिया और उस पर खड़े हो गए। जो देवता जिस स्थान पर खड़ा हुआ वह क्षेत्र उस देवता का आधिपत्य का क्षेत्र कहलाया।
दिया ये वरदान (gave this boon)
तब उस विशालकाय पुरुष ने प्रार्थना की कि वह सभी देवी-देवता भी उसके साथ पृथ्वी पर आ कर रहें। इससे ब्रह्मा जी प्रसन्न हुए और उसका नाम वास्तु पुरुष रखा। साथ ही उसे वरदान दिया कि किसी भी उत्सव पर होने वाले हवन की पहली आहुति वास्तु पुरुष के नाम पर ही दी जाएगी।
यही कारण है कि गृह प्रवेश या फिर किसी भी कार्य के लिए जब हवन आदि किया जाता है, तो वास्तु पुरुष के नाम की आहुति जरूरी रूप से दी जाती है। ऐसा करने से वास्तु पुरुष प्रसन्न होते हैं और उस स्थान पर रहने वाले लोगों की सुख-शांति की रक्षा करते हैं।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। JAIHINDTIMES यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं।