विजय माल्या ने जारी की 2 साल पहले #PMMODI को लिखी चिट्ठी
किंगफिशर लोन मामले में लंबे समय से देश से फरार शराब कारोबारी विजय माल्या ने अपनी खामोशी तोड़ते हुए एक बार फिर अपनी सफाई पेश की है. माल्या ने यह सफाई पेश करते हुए दावा किया है कि पूरे मामले में वह बेगुनाह हैं. इसके बावजूद देश के नेताओं और मीडिया ने उन्हें कर्ज लेकर फरार कारोबारी घोषित कर दिया है.
माल्या ने दावा किया है कि मीडिया द्वारा चलाए गए ट्रायल के बाद कुछ बैंकों ने भी उन्हें विलफुल डिफॉल्टर घोषित करने का फैसला किया है. खास बात है कि माल्या ने दावा किया कि मौजूदा सफाई उनके द्वारा 15 अप्रैल 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली कि लिखे गए पत्र के आधार पर है और उनके बयान में दोनों को लिखी गई चिट्ठी के अंश शामिल हैं.
आरोपों पर रखा है अपना पक्ष
अपनी सफाई में माल्या ने कहा कि लंबी खामोशी के बाद अब उनके ऊपर लगे आरोपों पर पक्ष रखने का समय आ गया है. माल्या ने दावा किया कि सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने सरकार के आदेश पर उनके खिलाफ गलत आरोप लगाए और चार्जशीट दायर की. वहीं ईडी ने उनके और उनके परिवार की 13,900 करोड़ रुपये की संपत्ति को जब्त कर लिया है. इसके साथ ही बैंकों ने उन्हें धोखाधड़ी का पोस्टर बॉय बनाकर देश के सामने पेश किया है. अपनी सफाई में माल्या ने सिलसिलेवार ढंग से उनपर लगे एक-एक आरोपों पर अपना पक्ष रखा है.
SBI को लिखा लेटर
- ये लेटर 5 पेज का है जिसे SBI को लिखा है। उसने कहा कि वो इस सबसे थक चुका है। विजय माल्या के मुताबिक CBI और ED उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रहे हैं।
- दोनों ही आपराधिक चार्ज लगा रहे हैं। उसके मुताबिक लोन का ब्याज बढ़ रहा है। माल्या ने आरोप लगाया कि उसके खिलाफ एजेंडा है।
- उसके मुताबिक अगर राजनैतिक व्यवधान होगा तो वो कुछ नहीं कर पाएगा।ईडी ने विजय माल्या के खिलाफ नए आर्थिक भगोड़ा कानून के तहत अर्जी दी है।
- इस कानून के तहत विजय माल्या की 12,500 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी जब्त करने की मंजूरी मांगी है।
- नए कानून के तहत विजय माल्या पहला शख्स होगा जिसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उसने कहा है कि कोर्ट को कानूनी निगरानी में उसकी प्रॉपर्टी की बिक्री होनी चाहिए।
विलफुल डिफॉल्ट का आरोप?
माल्या ने दावा किया कि बैंकों द्वारा ट्राइब्यूनल जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट के जरिए सेटेलमेंट के दो प्रस्ताव दिए. यह प्रस्ताव 29 मार्च 2016 और 6 अप्रैल 2016 को दिए गए. इन प्रस्तावों में बैंक के 5,000 करोड़ रुपये के कर्ज के ऐवज में 4,000 करोड़ रुपये और 2,000 करोड़ रुपये एक अन्य लंबित मामले में क्लेम भरने की पेशकश की. इस प्रस्ताव को अगले महीने 4,400 करोड़ और 2,000 करोड़ रुपये के संशोधन के साथ पेश किया गया. लेकिन जहां पहले प्रस्ताव को बैंक के शीर्ष स्तर पर ठुकरा दिया गया वहीं दूसरे प्रस्ताव को बैंक के एक छोटे कर्मचारी ने सुप्रीम कोर्ट में ही ठुकरा दिया.
विजय माल्या ने दावा किया कि इन प्रस्तावों को ठुकराए जाने के बाद उन्होंने 10 मई 2016, 2 जून 2016 और 10 जून 2016 को एसबीआई प्रमुख को पत्र लिखते हुए समझौते पर चर्चा करने के लिए कहा. लिहाजा माल्या का दावा है कि ऐसी स्थिति में बैंकों द्वारा उन्हें विलफुल डिफॉल्टर घोषित करना उचित नहीं है क्योंकि उन्होंने लगातार बैंकों के कर्ज को निपटाने की पहल की है.