विकास दुबे एनकाउंटर Vikas Dubey encounter केस पर आज सुप्रीम कोर्ट Supreme court में सुनवाई हुई. इस दौरान सरकार की तरफ से एडवोकेट तुषार मेहता ने बताया कि मुठभेड़ सही थी. हालांकि, कोर्ट की तरफ से ये भी कहा गया कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था बनाने के लिए जिम्मेदार है और इसके लिए ट्रायल होना चाहिए था. साथ ही कोर्ट Supreme court ने कहा है कि जांच कमेटी में पूर्व SC Supreme court जज और एक पुलिस अधिकारी हमारे होंगे. यूपी सरकार जांच कमेटी के पुनर्गठन पर सहमत भी हो गई है.
यूपी सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा मुठभेड़ सही थी. उसकी डिटेल बताते हुए कहा कि वो पैरोल पर था. हिरासत से भागने की कोशिश की. इसके बाद जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा कि विकास दुबे के खिलाफ मुकदमे के बारे में बताएं. आपने अपने जवाब में कहा है कि तेलंगाना में हुई मुठभेड़ और इसमें अंतर है, लेकिन आप कानून के राज को लेकर ज़रूर सतर्क होंगे. आपने रिटायर्ड जज की अगुआई में जांच भी शुरू की है. प्रशांत भूषण ने भी पीयूसीएल की ओर से मुठभेड़ पर सवाल उठाए हैं.
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इसके अलावा संजय पारिख की दलीलों पर कोर्ट ने कहा कि आप सिर्फ विकास दुबे मुठभेड़ के बारे में बात करें. संजय पारिख ने कहा कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के मीडिया में आए बयानों से भी साफ है कि मुठभेड़ स्वाभाविक नहीं थी. इस पर कोर्ट ने कहा कि जांच समिति में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज और पूर्व पुलिस अधिकारी भी हो सकते हैं.
सीजेआई ने सुनवाई के दौरान ये भी कहा कि हैरानी की बात है इतने केस में शामिल शख्स बेल पर था और उसके बाद ये सब हुआ. कोर्ट ने इस पूरे मामले पर तफ्सील से रिपोर्ट मांगते हुए कहा कि ये सिस्टम को फेल्योर दिखाता है. कोर्ट ने कहा कि इससे सिर्फ एक घटना दांव पर नहीं है, बल्कि पूरा सिस्टम दांव पर है.
क्या कहा Supreme court ने
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को विकास दुबे मामले की सुनवाई शुरू हुई है. इस मामले की सुनवाई कर रहे प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे ने इस पूरे मामले में उत्तर प्रदेश सरकार पर सवाल उठाते हुए इसे सिस्टम की विफलता बताया है. कोर्ट ने यूपी सरकार की ओर से इस एनकाउंटर की हैदराबाद एनकाउंटर से तुलना को भी खारिज कर दिया. CJI ने कहा कि ‘हैदराबाद और विकास दुबे एनकाउंटर केस में एक बड़ा अंतर है. वे एक महिला के बलात्कारी और हत्यारे थे. ये (दुबे और सहयोगी) पुलिसकर्मियों के हत्यारे थे.’ कोर्ट ने विकास दुबे पर संगीन अपराधों में नाम दर्ज होने के बाद भी जमानत दिए जाने को लेकर हैरानी भी जताई.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यूपी सरकार की ओर से कहा कि सारे मुद्दों को अदालत के सामने रखा गया है. SG ने कहा विकास दुबे के खिलाफ 65 FIR दर्ज थी और वो पैरोल पर बाहर आया था. इस CJI ने SG को कहा कि ‘आप हमें मत बताइए कि विकास दुबे कौन था.’ तुषार मेहता ने सरकार का पक्ष रखते हुए मुठभेड़ को सही ठहराया. दुबे की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि वो पैरोल पर था और उसने हिरासत से भागने की कोशिश की थी.
– यूपी डीजीपी का पक्ष रखते हुए हरीश साल्वे ने कहा कि यह मामला तेलंगाना मुठभेड़ से कई मामलों में अलग है. यहां तक कि पुलिसकर्मियों को भी मौलिक अधिकार है. क्या पुलिस पर अत्यधिक बल का आरोप लगाया जा सकता है जब वह एक खूंखार अपराधी के साथ लाइव मुठभेड़ में लगी हो?
– सीजेआई बोबडे ने कहा- विकास दुबे के खिलाफ मुकदमों के बारे में बताएं. आपने अपने जवाब में कहा है कि तेलंगाना में हुई मुठभेड़ और इसमें अंतर है लेकिन आप कानून के राज को लेकर ज़रूर सतर्क होंगे. CJI ने कहा कि ‘हैदराबाद और विकास दुबे एनकाउंटर केस में एक बड़ा अंतर है. वे एक महिला के बलात्कारी और हत्यारे थे. ये (दुबे और सहयोगी) पुलिसकर्मियों के हत्यारे थे. CJI ने कहा कि ये बिल्कुल साफ है कि तेलंगाना वाले मामले में आरोपी बिना हथियार के थे.
– सीजेआई ने विकास दुबे को मिली जमानत पर भी हैरानी जताई. सीजेआई ने कहा कि ‘हमें इस बात से हैरानी है कि इतने आपराधिक मामले सिर पर दर्ज होने वाला व्यक्ति जमानत पर रिहा था और उसने आखिरकार ऐसा कर दिया. हमें सभी आदेशों की एक सटीक रिपोर्ट दें. यह सिस्टम की विफलता को दर्शाता है.’ सुप्रीम कोर्ट ने विकास दुबे को जमानत संबंधी सारे आदेश मांगे हैं.