Vishwakarma Puja 2022: भगवान विश्वकर्मा (Vishwakarma Puja) का जन्मोत्सव 17 सितम्बर को मनाया जाएगा। उस दिन कल-कारखानों और प्रतिष्ठानों में विधि-विधान से भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाएगी। वास्तु के 18 उपदेष्टाओं में विश्वकर्मा को प्रथम स्थान प्राप्त है। विष्णु पुराण के पहले अंश में विश्वकर्मा को देवताओं का वर्धक या देव बड़ाई कहा गया है। इन्हें शिल्पावतार कहा जाता है। शिल्प के ग्रंथों में इन्हें सृष्टिकर्ता भी कहा गया है। (Vishwakarma Puja 2022)
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मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा ने ही इंद्रपुरी, यमपुरी, वरुण पुरी, कुबेरपुरी, पांडवपुरी, सुदामापुरी, शिवपुरी आदि का निर्माण किया था। पुष्पक विमान का निर्माण तथा सभी प्रकार के देवताओं के अस्त्र एवं दैनिक उपयोग होने वाले वस्तु भी इनके ही द्वारा बनाया गया है। ब्रह्मा का कुंडल, भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र, भगवान शिव का त्रिशूल और यमराज का कालदंड और दैनिक वस्तुओं का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया है। इसीलिए उन्हें देव शिल्पी भी कहा जाता है।
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महत्व (Vishwakarma Puja 2022)
ज्योतिर्विद पं. नरेंद्र उपाध्याय ने बताया कि विश्वकर्मा जयंती के दिन सभी कारखानों और औद्योगिक संस्थानों में भगवान विश्वकर्मा की विधि-विधान से पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही व्यापार में तरक्की और उन्नति होती है।
ऐसे करें पूजन (Vishwakarma Puja 2022)
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस दिन सुबह स्नानादि करें। उसके बाद पूजा स्थल को साफ कर गंगाजल छिड़क कर उस स्थान को पवित्र करें। एक चौकी लेकर उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। पीले कपड़े पर लाल रंग के कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं। गणेश जी को प्रणाम करें। स्वास्तिक पर चावल और फूल अर्पित करें। फिर चौकी पर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें। एक दीपक जलाकर चौकी पर रखें। पूजा कर विश्वकर्मा जी की आरती करें और औजारों की भी पूजा करें। आरती के बाद उन्हें फल-मिठाई का भोग लगाएं। इस भोग को सभी में वितरित कर दें।