क्या है #Mantra शांति पाठ, क्या है इसके फायदे
हिंदू धर्म में #Mantra की महत्ता से तो हर कोई वाकिफ ही होगा। इसके अनुसार एेसा कोई शुभ कार्य नहीं जो मंत्र उच्चारण के बिना हो। हर पूजा-पाठ, बवन, यज्ञ आदि मंत्रों का जाप के बिना संपन्न नहीं होता।
हर मुश्किल का समाधान
इसके अलावा ज्योतिष शास्त्र में एेसे कई मंत्र बताए गए हैं, जिनका जाप करने से बहुत से लाभ प्राप्त होते हैं। साथ ही घर-परिवार में पैदा होने वाली समस्याओं का अंत होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। कहा जाता है कि हिंदू धर्म के वेद दुनिया के प्रथम धर्मग्रंथों में से एक है। इसके साथ ये भी मान्यता है कि इन चार वेदों के आधार पर दुनिया के अन्य धर्मों की उत्पतति हुई जिन्होंने वेदों के ज्ञान को अपने-अपने अलग अंदाज़ और अपनी-अपनी भाषा में प्रस्तुत किया।
इन चार वोदों में मानव जीवन की हर मुश्किल का समाधान लिखा है।
मंत्र का प्रयोग
- यजुर्वेद के एक शांति पाठ मंत्र के द्वारा ईश्वर से शांति बनाए रखने की प्रार्थना की जाती है।
- यहां जानें यजुर्वेद के इस मंत्र के बारे में जिसके द्वारा भगवान से आशीर्वाद पाया जा सकता है।
- शांति मंत्र शांति के लिए की जाने वाली हिंदू प्रार्थना है, आमतौर पर धार्मिक पूजाओं, अनुष्ठानों और प्रवचनों के अंत में यजुर्वेद के इस मंत्र का प्रयोग किया जाता है।
शांति पाठ मंत्र
ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षं शान्ति, पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।
वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति,सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति, सा मा शान्तिरेधि॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥
इसका शाब्दिक अर्थ
- ज्यादातर हिंदू संप्रदाय के लोग अपने किसी भी प्रकार के धार्मिक कृत्य, संस्कार, यज्ञ आदि के आरंभ और अंत में इस शांति पाठ के मंत्रों का मंत्रोच्चारण ज़रूर करते हैं।
- अगर इस मंत्र के अर्थ की बात करे तो इसमें कुल मिलाकर जगत के समस्त जीवों, वनस्पतियों और प्रकृति की शांति की प्रार्थना की गई है।
- इसका शाब्दिक अर्थ लें तो उसके अनुसार इसमें यह कहा गया है कि हे परमात्मा! स्वरूप शांति कीजिए, वायु में शांति हो, अंतरिक्ष में शांति हो, पृथ्वी पर शांति हों, जल में शांति हो, औषध में शांति हो, वनस्पतियों में शांति हो, विश्व में शांति हो, सभी देवतागणों में शांति हो, ब्रह्म में शांति हो, सब में शांति हो, चारों और शांति हो, हे परमपिता परमेश्वर शांति हो, शांति हो, शांति हो।