रखें इन बातों का ख्याल
ओडिशा की तीर्थ नगरी पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू होने वाली है. सुरक्षा के भी कड़े इंतजामों के साथ इस यात्रा से जुड़ी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. इस दिन पुरी में भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने के लिए दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं.
माना जाता है कि आज के दिन भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी के घर के लिए रथ पर सवार होते हैं. भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर गुंडिचा देवी का मंदिर है. यहां जगन्नाथ भगवान हर साल एक हफ्ते के लिए रहने के लिए आते हैं.
उड़ीसा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की काष्ठ की अर्धनिर्मित मूर्तियां स्थापित हैं, जिनका निर्माण राजा इन्द्रद्युम्न ने कराया था. भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथपुरी में आरंभ होती है और दशमी तिथि को समाप्त हो जाती है. रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ वर्ष में एक बार जनसामान्य के बीच जाते हैं, इसलिए इसका इतना ज्यादा महत्व है.
कब और कैसे करें भगवान जगन्नाथ की पूजा
- भगवान जगन्नाथ आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से दशमी तक जनसामान्य के बीच रहते हैं.
- इसी समय मे उनकी पूजा करना और प्रार्थना करना विशेष फलदायी होता है.
- इस बार भगवान की रथयात्रा 04 जुलाई से आरम्भ होगी.
- इसी समय मे भगवान की रथ यात्रा मे शामिल हों, साथ ही भगवान जगन्नाथ की उपासना करें.
- अगर आप मुख्य रथयात्रा में भाग नहीं ले सकते तो किसी भी रथ यात्रा में भाग ले सकते हैं .
- अगर यह भी सम्भव नहीं है तो घर पर ही भगवान जगन्नाथ की उपासना करें, उन्हें भोग लगायें और उनके मन्त्रों का जाप करें.
संतान प्राप्ति के लिए
- पति पत्नी पीले वस्त्र धारण करके भगवान जगन्नाथ की पूजा करें.
- भगवान जगन्नाथ को मालपुए का भोग लगायें.
- इसके बाद संतान गोपाल मंत्र का जाप करें और संतान प्राप्ति की प्रार्थना करें.
- एक ही मालपुए के दो हिस्से करें , आधा आधा पति पत्नी खाएं.
परिवार के लोगों में प्रेम बढ़ाने के लिए
- भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र के चित्र या मूर्ति की स्थापना करें.
- उनको फूलों से सजाएँ और उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं.
- इसके बाद सभी लोग मिलकर “हरि बोल – हरि बोल” का कीर्तन करें.
- फिर साथ में मिलकर प्रसाद ग्रहण करें.
पाप और त्रुटियों से तथा ग्रह पीड़ा से मुक्ति पाने का प्रयोग
- पीले वस्त्र धारण करके भगवान जगन्नाथ का पूजन करें.
- उनको चन्दन लगायें , विभिन्न भोग प्रसाद और तुलसीदल अर्पित करें.
- इसके बाद गजेंद्र मोक्ष का पाठ करें, या गीता के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करें .
- भोग प्रसाद खुद भी खाएं और दूसरों को भी खिलाएं.
- जो कोई भी इस प्रसाद को खायेगा , उसकी बाधाओं का नाश होगा.