हिंदू धर्म में खरमास (kharmas) का विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार खरमास का महीन मार्गशीर्ष और पौष माह में पड़ता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस साल खरमास (kharmas) की शुरूआत 14 दिसंबर से लेकर 14 जनवरी तक पड़ रहा है। इस माह में विवाह, मुण्डन आदि शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।
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आइए जानते हैं कब लगता है खरमास और क्या है इसके महत्व…..
कब लग रहा है खरमास
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान सूर्य के घोड़े ब्रह्माण्ड की परिक्रमा करते हुए जब थक जाते हैं। तो उन्हें विराम देने के लिए सूर्य देव उनके स्थान पर खर अर्थात गधा बांध लेते हैं।जिस कारण उनकी चाल धीमी हो जाती है। इस कारण ही इस माह को खरमास कहा जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने से खरमा लग जाता है। धनु राशि के गुरू बृहस्पति की राशि है जब सूर्य इस राशि में होता है तो खरमास लगता है। इस साल खरमास 14 दिसंबर से शुरू होकर 14 जनवरी तक रहेगा। इसके बाद फिर शुभ दिनों की शुरूआत होती।
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महत्व और विधान
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार खरमास में कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। इस माह में विवाह, मुण्डन, उपनयन संस्कार करने की मनाही है। इसके साथ ही ज्योतिषाचार्य इस माह में मकान निर्माण और जमीन की खरीद या नये काम की शुरूआत नहीं की जाती है। खरमास में जौं, तिल, जीरा, सेंधा नमक, मूंग की दाल, सुपारी आदि नहीं खाना चाहिए। खरमास में सूर्य देव, भगवान विष्णु और अपने इष्ट देव की उपासना करनी चाहिए। इस माह में आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करना चाहिए।
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