हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष (Margashirsha) के महीने में दान-धर्म और भक्ति का महा कहा जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भाागवत गीता में स्वयं कहा है कि सभी महीनों में मार्गशीर्ष (Margashirsha) का माह वो स्वयं हैं। पौराणिक मान्याताओं के अनुसार, यह माह सतयुग में शुरु हुआ था। मार्गशीर्ष महीने में जो पूर्णिमा (Purnima) आती है मार्गशीर्ष पूर्णिमा कहा जाता है। इस पूर्णिमा पर स्नान, दान और तप का विशेष महत्व माना गया है। इस पूर्णिमा पर हरिद्वार, बनारस, मथुरा और प्रयागराज आदि जैसी जगहों पर श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान और तप आदि करने के लिए आते हैं। इस वर्ष यह पूर्णिमा 29 दिसंबर को पड़ रही है।
आइए जानते हैं मार्गशीर्ष पूर्णिमा का मुहूर्त और महत्व…
व्रत मुहूर्त…
पूर्णिमा आरंभ: दिसंबर 29, मंगलवार, को 07:55:58 से
पूर्णिमा समाप्त: दिसंबर 30 बुधवार को 08:59:21 पर
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धार्मिक महत्व…
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अगर मार्गशीर्ष पूर्णिमा (MargashirshaPurnima) पर पवित्र नदी, सरोवर, कुंड आदि में तुलसी की जड़ की मिट्टी से स्नान किया जाए तो भक्तों को भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस पूर्णिमा पर किए गए दान का फल किसी भी अन्य पूर्णिमा की तुलना में 32 गुना ज्यादा होता है। ऐसे में इसे बत्तीसी पूर्णिमा भी कहा जाता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा (MargashirshaPurnima) के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा व कथा भी सुनी या कही जाती है। कथा करने के बाद व्यक्ति को अपने सामर्थ्यनुसार गरीबों व ब्राह्मणों को भोजन और दान-दक्षिणा देनी चाहिए। इससे भगवान विष्णु प्रसन्न हो जाते हैं।
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