हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत (Ekadashi Vrat) महत्व बहुत अधिक माना गया है। कार्तिक मास शुरू हो चुका है। इस माह में रमा एकादशी आती है जिसमें विष्णु जी और मां लक्ष्मी के रमा स्वरूप का पूजन किया जाता है। इसे रमा एकादशी (RamaEkadashi) कहते हैं। इस वर्ष यह एकादशी 11 नवंबर को पड़ रही है। मान्यता है कि अगर इस एकादशी (Ekadashi)का व्रत किया जाए तो जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
आइए जानते महत्व…
महत्व
मान्यता है कि जो व्यक्ति इस व्रत को करता है उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इस व्रत के बारे में पद्म पुराण में भी बताया गया है। इस पुराण के अनुसार, रमा एकादशी व्रत करने से कामधेनि और चिंतामणि के समान फल की प्राप्ति होती है। साथ ही मां लक्ष्मी और विष्णु जी की कृपा भी बरसती है। व्यक्ति के जीवन में धन-धान्य की भी कोई कमी नहीं रहती है।
मुहूर्त
एकादशी तिथि आरंभ- 11 नवंबर 2020, सुबह 03 बजकर 22 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त- 12 नवंबर 2020, रात 12 बजकर 40 मिनट तक
एकादशी व्रत पारण तिथि- 12 नवंबर 2020, सुबह 06 बजकर 42 मिनट से 08 बजकर 51 मिनट तक
द्वादशी तिथि समाप्त- 12 नवंबर 2020, रात 09 बजकर 30 मिनट तक
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पूजा विधि
- यह व्रत को एकादशी तिथि को रखा जाता है लेकिन नियमों का पालन इससे एक दिन पहले यानी दशमी तिथि से ही किया जाता है।
- दशमी तिथि को सूर्यास्त के बाद भोजन न करें। ऐसा करने से एकादशी तिथि के दिन व्यक्ति के पेट में अन्न का एक दाना भी नहीं रहता है।
- व्रत के दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठ जाएं और स्नानादि कर निवृत्त हो जाएं।
- व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु की अराधना करें।
- फिर विष्णु जी के सामने दीप-धूप जलाएं। फिर उन्हें फल, फूल, नैवेद्द अर्पित करें।
- विष्णु जी को तुलसी जरूर चढ़ाएं क्योंकि उन्हें तुलसी बेहद प्रिय है। लेकिन ध्यान रहे कि तुलसी को एकादशी के दिन न तोड़ें। एक दिन पहले तोड़ी गई तुलसी भी चढ़ाई जा सकती है।
- एकादशी को अन्न का सेवन न करें। इस दिन निर्जला या क्षमतानुसार फलाहार किया जा सकता है।
- एकादशी को रात्रि जागरण करके भजन कीर्तन किया जाता है।
- द्वादशी तिथि को ब्रह्ममुहूर्त में उठ जाएं और स्नानादि कर निवृत्त हो जाएं। फिर विष्णु जी की पूजा करें
- फिर प्रातःकाल उठकर विष्णु जी का पूजन करें। फिर किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं और अपनी सामार्थ्यनुसार उसे दक्षिणा दें।
- इसके बाद व्रत का पारण करें।
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