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कौन हैं माँ कालरात्रि, क्या है इनका स्वरूप?
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माँ कालरात्रि नवदुर्गा का सातवाँ स्वरुप हैं , जो काफी भयंकर है. इनका रंग काला है और ये तीन नेत्रधारी हैं. माँ कालरात्रि के गले में विद्युत् की अद्भुत माला है. इनके हाथों में खड्ग और काँटा है और इनका वाहन है -गधा. परन्तु ये भक्तों का हमेशा कल्याण करती हैं , अतः इन्हें शुभंकरी भी कहते हैं. इस बार माँ के सातवें स्वरुप की पूजा 24 मार्च को की जायेगी.
इनकी उपासना से क्या लाभ हैं
- शत्रु और विरोधियों को नियंत्रित करनेके लिए इनकी उपासना अत्यंत शुभ होती है
- इनकी उपासना से भय,दुर्घटना तथा रोगों का नाश होता है
- इनकी उपसना से नकारात्मक ऊर्जा का ( तंत्र मंत्र) असर नहीं होता
- ज्योतिष में शनि नामक ग्रह को नियंत्रित करने के लिए इनकी पूजा करना अदभुत परिणाम देता है
क्या है माँ कालरात्रि की पूजा विधि
- माँ के समक्ष घी का दीपक जलाएँ
- माँ को लाल फूल अर्पित करें , साथ ही गुड़ का भोग लगाएं
- माँ के मन्त्रों का जाप करें , या सप्तशती का पाठ करें
- लगाये गए गुड़ का आधा भाग परिवार में बाटें
- बाकी आधा गुड़ किसी ब्राह्मण को दान कर दें
माँ कालरात्रि का सम्बन्ध किस चक्र से है
- माँ कालरात्रि व्यक्ति के सर्वोच्च चक्र , सहस्त्रार को नियंत्रित करती हैं
- यह चक्र व्यक्ति को अत्यंत सात्विक बनाता है और देवत्व तक ले जाता है
- इस चक्र तक पहुच जाने पर व्यक्ति स्वयं ईश्वर ही हो जाता है
- काले रंग के वस्त्र धारण करके या किसी को नुकसान पंहुचाने के उद्देश्य से पूजा न करें
- शनि ग्रह का सम्बन्ध इसी चक्र से होता है अतः शनि को मोक्षकारक भी कहते हैं
शत्रु और विरोधियों को शांत करने के लिए कैसे करें माँ कालरात्रि की पूजा
- श्वेत या लाल वस्त्र धारण करके रात्रि में माँ कालरात्रि की पूजा करें
- माँ के समक्ष दीपक जलाएं और उन्हें गुड का भोग लगायें
- इसके बाद 108 बार नवार्ण मंत्र पढ़ते जाएँ और एक एक लौंग चढाते जाएँ
- नवार्ण मंत्र है – “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे “
- उन 108 लौंग को इकठ्ठा करके अग्नि में डाल दें
- आपके विरोधी और शत्रु शांत होंगे
माँ कालरात्रि को क्या विशेष प्रसाद अर्पित करें
- – माँ कालरात्रि को गुड का भोग अर्पित करें
- इसके बाद सबको गुड का प्रसाद वितरित करें
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