गायत्री माता को सभी वेदों की जननी कहा गया है
गंगा दशहरा के अगले दिन यानी ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गायत्री जयंती मनायी जाती है। इस वर्ष यह 13 जून दिन गुरुवार को है। हालांकि कुछ जगहों पर गंगा दशहरा और गायत्री जयंती की तिथि ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को माना जाता है। इतना ही नहीं, श्रावण पूर्णिमा को भी गायत्री जयंती मनाया जाता है।
कौन हैं गायत्री माता
गायत्री माता को सभी वेदों की जननी कहा गया है। ऐसी मान्यता है कि चारों वेदों का सार गायत्री मंत्र ही है। यदि आप इस मंत्र को समझ गए तो चारों वेदों के सार को भी समझ गए। गायत्री माता से ही वेदों का जन्म हुआ है, इसलिए गायत्री माता को वेदमाता भी कहते हैं। इनकी अराधना स्वयं भगवान शिव, श्रीहरि विष्णु और ब्रह्मा करते हैं, इसलिए गायत्री माता को देव माता भी कहा जाता है।
गायत्री मंत्र और अर्थ
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।
सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परामात्मा के तेज का हम ध्यान करते हैं, वह परमात्मा का तेज हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करे।
इस मंत्र के जाप से ज्ञान की प्राप्ति होती है और मन शांत तथा एकाग्र रहता है। ललाट पर चमक आती है। गायत्री माता के विभिन्न स्वरूपों का उनके मंत्रों के साथ जाप करने से दरिद्रता, दुख और कष्ट का नाश होता है, नि:संतानों को पुत्र की प्राप्ति होती है।
देवताओं के गायत्री मंत्र
गणेश:- ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ।।
विष्णु:- ॐ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु प्रचोदयात् ।।
रुद्र :- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्र: प्रचोदयात् ।।
राम :- ॐ दशरताय विद्महे, सीता वल्लभाय धीमहि, तन्नो रामा: प्रचोदयात् ।।
कृष्ण :- ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो कृष्ण प्रचोदयात् ।।
हनुमान :- ॐ आञ्जनेयाय विद्महे, वायुपुत्राय धीमहि, तन्नो हनुमान् प्रचोदयात् ।।
देवीओं के गायत्री मंत्र
दुर्गा :- ॐ कात्यायन्यै विद्महे, कन्याकुमार्ये च धीमहि, तन्नो दुर्गा प्रचोदयात् ।।
काली :- ॐ कालिकायै च विद्महे, स्मशानवासिन्यै धीमहि, तन्नो घोरा प्रचोदयात् ।।
लक्ष्मी:- ॐ महादेव्यै च विद्महे, विष्णुपत्न्यै च धीमहि, तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ।।
सरस्वती :- ॐ वाग्देव्यै च विद्महे, कामराजाय धीमहि, तन्नो देवी प्रचोदयात् ।