Why are books always square: हमने किताबों को हमेशा एक जैसे ही देखा है- सीधी, चौकोर, आयताकार, लेकिन क्या आपने कभी सवाल उठाया है कि ऐसा क्यों? क्या ये कोई नियम है? ट्रेडिशन है? या फिर कोई ऐसी वजह, जो हमने कभी सोची ही नहीं? Why are books always square
सफेद बाल तोड़ने से और बढ़ जाएंगे… जान लें सही बात
आज हम आपको बताने जा रहे हैं साइंस और डिजाइन से जुड़ी इसकी वो दिलचस्प वजह, जो शायद ही आपने पहले कभी सुनी होगी। आइए जानते हैं।
प्रैक्टिकल डिजाइन
चौकोर या आयताकार किताबों को स्टैक करना, अलमारी में जमाना, बैग में रखना या एक के ऊपर एक रखना बहुत आसान होता है। अगर किताबें गोल या तिकोनी होतीं, तो उन्हें समेटना, सहेजना और ले जाना एक झंझट बन जाता।
सोचिए अगर गोल किताबें बैग में घूमतीं, तिकोनी किताबों के कोने मुड़ जाते और लाइब्रेरी में किताबों की जगह ही नहीं बनती, तो क्या होता?
जाने, क्यों सड़कों के बीच डिवाइडर पर लगाए जाते हैं पौधे?
छपाई की साइंटिफिक वजह
प्रिंटिंग मशीनों में जो बड़े-बड़े पेपर शीट्स इस्तेमाल होते हैं, वो आयताकार होते हैं। उन्हें काटने और फोल्ड करके बुक फॉर्म में लाने का सबसे सुविधाजनक और कम वेस्टेज वाला तरीका भी आयताकार ही है।
यानी गोल या तिकोनी किताबें बनाना मतलब ज्यादा समय, ज्यादा लागत और ज्यादा बर्बादी।
पढ़ने की सहूलियत भी रखती है मायने (The convenience of reading also matters)
जब आप कोई किताब खोलते हैं, तो आपकी आंखें बाएं से दाएं और ऊपर से नीचे की तरफ चलती हैं। आयताकार पेज इस रीडिंग पैटर्न के लिए सबसे बेस्ट होते हैं। गोल पन्नों में टेक्स्ट को ढालना मुश्किल होता और तिकोनी पन्नों में जगह की बर्बादी होती।
इतिहास की छाप (imprint of history)
प्राचीन समय में लोग स्क्रॉल्स (लंबे पेपर रोल्स) में लिखा करते थे, लेकिन स्क्रॉल को पढ़ना काफी मुश्किल था बार-बार रोल खोलना पड़ता था। जब किताबों का अविष्कार हुआ, तब आयताकार फॉर्मेट सबसे ज्यादा सुविधाजनक लगा।
कच्चे पपीते के जूस में यह मिलाकर पीने से पेट की चर्बी हो जाएगी कम
धीरे-धीरे ये फॉर्मेट आदत बन गई और आज नॉर्म बन गई।
प्रोडक्शन से लेकर डिजाइन तक (From design to production)
किताबें सिर्फ पढ़ने के लिए नहीं होतीं, उन्हें डिजाइन भी करना होता है, छापना होता है, बांधना होता है और भेजना भी होता है। ये सारी प्रक्रिया चौकोर शेप में सबसे आसान और सस्ती होती है। पब्लिशर्स के लिए भी यही शेप सबसे “कॉस्ट-इफेक्टिव” है।
क्या कभी गोल या तिकोनी किताबें बनी हैं?
बिलकुल! कुछ आर्टिस्टिक या बच्चों की किताबें एक्सपेरिमेंट के तौर पर गोल, दिल के आकार या तिकोनी भी बनी हैं, लेकिन ये आम नहीं हो सकीं क्योंकि उनका इस्तेमाल और स्टोरेज मुश्किल हो जाता है।
किताबों का चौकोर होना सिर्फ एक संयोग नहीं, बल्कि सदियों की प्रैक्टिकल समझ, पढ़ने की सहूलियत और प्रोडक्शन की जरूरत का नतीजा है और यही वजह है कि हम आज भी चौकोर किताबें पढ़ते हैं और शायद आगे भी पढ़ते रहेंगे।
गर्मियों में रोजाना क्यों पीना चाहिए जौ का पानी?
खाना खाने के बाद तुरंत बनने लगती है Gas, बस इन बीजों को चबा लें…