हिंदू धर्म के अनुसार, सप्ताह के सातों दिन किसी न किसी देवता की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसे में सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। शिव (Shiv) त्रिदेवों में से एक हैं। इनको सृष्टि का संहारक भी माना जाता है। शिव बहुत ही दयालु हैं। ऐसी मान्यता है कि अगर शिव आपसे प्रसन्न हैं, तो आपको संकट का सामना नहीं करना पड़ता है। सोमवार के दिन सच्चे मन से भोलेनाथ की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस वजह से लोग सोमवार व्रत रखते हैं और शिव मंदिर जाकर बेलपत्र और दूध चढ़ाते हैं।
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जानें आखिर सोमवार के दिन ही भगवान शिव की पूजा क्यों की जाती है।
सोमवार को इसलिए होती है शिव पूजा
सोमवार के दिन शिवजी की पूजा के साथ ही साथ व्रत भी रखा जाता है। इस दिन रखे जाने वाले व्रत को सोमेश्वर व्रत के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ सोम के ईश्वर यानि चंद्रमा के ईश्वर, जोकि भगवान शिव हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंद्रदेव ने इसी दिन भगवान शिव की आराधना करके अपने क्षय रोग से मुक्ति प्राप्त की थी, इसलिए सोमवार के दिन को भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे उत्तम माना जाने लगा।
सहज और सरल
सोम का एक अर्थ सौम्य भी होता है। भगवान शंकर को बहुत ही शांत देवता माना जाता है। सहज, सरल और विनम्र होने की वजह से सोमवार दिन के अधिपत्य देवता कहलाते हैं।
परिणय सूत्र में बंधे शिव और पार्वती
एक पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने शिव को पति के रुप में प्राप्त करने के लिए घोर तप के साथ ही साथ 16 सोमवार व्रत भी किया, जिससे प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें मनचाहा वरदान मांगने को कहा था। इस पर माता ने उन्हें पति रुप में पाने की इच्छा जाहिर की। घोर तप और सोलह सोमवार की वजह से भगवान शिव मना नहीं कर पाए, इसलिए सोमवार के दिन का इतना महत्व है।