World Vitiligo Day 2023: विटिलिगो त्वचा से जुड़ा एक गंभीर विकार है। जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को अपना शिकार बना सकती है। जिससे पीड़ित व्यक्ति की त्वचा अपनी रंगत खोने लगती है।
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इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने और इससे पीड़ित व्यक्ति को अपना अनुभव साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करने के मकसद से हर साल 25 जून को विश्व विटिलिगो दिवस मनाया जाता है। तो चलिए जानते हैं क्या है यह बीमारी, इसके लक्षण, कारण और बचाव के तरीके-
क्या है विटिलिगो
विटिलिगो (Vitiligo) एक ऑटोइम्यून बीमारी है, एक तरह का स्किन डिसऑर्डर है, जिसे कई लोग सफेद दाग के नाम से भी जानते हैं। दरअसल, इस बीमारी में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा स्किन सेल मेलानोसाइट्स नष्ट हो जाती हैं। इससे शरीर में मेलेनिन का उत्पादन कम होने लगता है, जिससे त्वचा अपना रंग खो देती है। इसकी वजह से त्वचा अलग-अलग हिस्सों से अपना रंग खोने लगती है। इसकी वजह से शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर सफेद रंग के धब्बे पड़ने लगते है
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लक्षण
विटिलिगो का एकमात्र लक्षण शरीर पर धब्बे पड़ना है। यह धब्बे सपाट दिखाई देते हैं और शुरुआत में हल्के पीले रंग के नजर आते हैं और फिर बाद में समय के साथ इन धब्बों का रंग सफेद होता चला जाता है। वहीं, आकार की बात करें, तो आमतौर पर इन धब्बों का आकार अनियमित होता है। विटिलिगो के कारण होने वाले इन धब्बों की वजह से त्वचा पर किसी भी तरह की जलन, दर्द, रूखापन या अन्य परेशानी नहीं होती है। हालांकि, दाग वाले हिस्से पर खुजली होना सामान्य है।
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विटिलिगो के कारण
विटिलिगो होने का मुख्य कारण मेलेनोसाइट्स कोशिकाओं का नष्ट होना है। यह कोशिकाएं त्वचा को प्राकृतिक रंग देने में मदद करती है, लेकिन इनके नष्ट होने की वजह से त्वचा रंग बदलने लगती है, जिससे सफेद दाग होने लगते हैं। विटिलिगो के अन्य प्रमुख कारण निम्न हैं-
इस बीमारी का पारिवारिक इतिहास होने पर विटिलिगो होने की संभावना बढ़ जाती है।
शरीर के इम्यून सिस्टम द्वारा मेलानोसाइट्स को खत्म करना भी विटिलिगो का कारण है।
जब शरीर में ऑक्सीजन अणुओं और एंटीऑक्सीडेंट का संतुलन बिगड़ जाता है, तो इससे विटिलिगो की स्थिति बन जाती है।
सनबर्न या किसी केमिकल के कारण से भी त्वचा पर सफेद धब्बे नजर आने लगते हैं।
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