नारियल के वृक्ष को श्रीफल भी कहा जाता है
हिंदू धर्म में नारियल को श्रीफल के नाम से भी जाना जाता है ऐसा माना जाता है कि जब भगवान विष्णु ने धरती पर अवतार लिया तो वे अपने साथ तीन चीजें लक्ष्मी, नारियल का वृक्ष और कामधेनु लेकर आए थे। इसलिए नारियल के वृक्ष को श्रीफल भी कहा जाता है।
श्री का अर्थ है लक्ष्मी अर्थात नारियल लक्ष्मी व विष्णु का फल।
दूर होती हैं समस्याएं
वेदों के जानकार के अनुसार नारियल में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना गया है। श्रीफल भगवान शिव का परम प्रिय फल है। मान्यता अनुसार नारियल में बनी तीन आंखों को त्रिनेत्र के रूप में देखा जाता है। नारियल चढ़ाने से धन संबंधी समस्याएं दूर होती हैं ऐसा श्रद्धालुओं का मानना है।
शुभ का संकेत
- नारियल के जल से शिवलिंग पर रुद्रभिषेक करने का शास्त्रीय विधान भी है।
- श्रीफल शुभ, समृद्धि, सम्मान, उन्नति और सौभाग्य का सूचक माना जाता है।
- किसी को सम्मान देने के लिए श्रीफल भी भेंट किया जाता है।
- सामाजिक रीति-रिवाजों में भी शुभ शगुन के तौर पर नारियल भेंट करने की परंपरा युगों से चली आ रही है। तिलक, विवाह, विदाई, के समय श्रीफल भेंट किया जाता है।
- यहां तक की अंतिम संस्कार के समय भी चिता के साथ नारियल जलाए जाते हैं।
- वैदिक अनुष्ठानों में कर्मकांड में सूखे नारियल को वेदी में होम किया जाता है।
बलिदान के तौर पर
- नवरात्रि ही नहीं और भी दूसरे पूजा-पाठ में नारियल का खास महत्व है।
- कोई भी वैदिक या दैविक पूजन नारियल के बलिदान के बिना अधूरी मानी जाती है।
- यह भी एक वजह है कि महिलाएं नारियल नहीं फोड़तीं। श्रीफल बीज रूप है, इसलिए इसे उत्पादन अर्थात प्रजनन का कारक माना जाता है।
- श्रीफल को प्रजनन क्षमता से जोड़ा गया है। स्त्रियों बीज रूप से ही शिशु को जन्म देती हैं और इसलिए नारी के लिए बीज रूपी नारियल को फोडऩा अशुभ माना गया है।
- देवी-देवताओं को श्रीफल चढ़ाने के बाद पुरुष ही इसे फोड़ते हैं।